नई दिल्ली। लगातार दो ओलंपिक पदक जीत चुके, लेकिन पिछले रियो ओलंपिक में उतरने से दूर रह गए पहलवान सुशील कुमार का कहना है कि उनके अंदर अभी ओलंपिक स्वर्ण जीतने की कसक बाकी है।
सुशील ने यहां कहा, मैं अपनी वापसी के लिए तैयारियों में लगा हुआ हूं। पिछले सवा महीने से मेरी कड़ी तैयारी चल रही है और दो-तीन महीने में मैं पूरी तरह फिट हो जाऊंगा। फिलहाल मैं किसी भी तरह की चोट से बचा हुआ हूं।
ओलंपिक में रजत और कांस्य पदक जीत चुके सुशील इस साल राष्ट्रीय चैंपियनशिप से मैदान में वापसी करना चाहते हैं और उनका लक्ष्य 2020 के टोक्यो ओलंपिक में उतरकर देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। उन्होंने कहा, भारतीय कुश्ती में वापसी के लिए एक सिस्टम है जिसके तहत पहले मुझे राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उतरना होगा। इस साल के आखिर में यह चैंपियनशिप होनी है जिसमें उतरना मेरा लक्ष्य है।
सुशील ने कहा, मेरे अंदर अब भी कहीं न कहीं ओलंपिक स्वर्ण की कसक बाकी है। डब्ल्यूडब्ल्यूई वाले अब भी लगातार मेरे पीछे पड़े हैं कि मैं इस स्टाइल की रेसलिंग में उतर जाऊं, लेकिन मैंने उन्हें सिरे से इंकार किया है, क्योंकि मैं ओलंपिक स्वर्ण जीतना चाहता हूं।
द्रोणाचार्य अवॉर्डी महाबली सतपाल के शिष्य सुशील ने साथ ही कहा, मुझे अब सिर्फ टूर्नामेंट लड़ने हैं जिसके लिए मैं पूरी तरह प्रेरित हूं। अभी हाल में 97 किग्रा में एक पहलवान ने विश्व चैंपियनशिप पदक जीता था जिसके साथ मैंने कई साल पहले पदक जीता था। जब वह पदक जीत सकता है तो मैं भी यह काम कर सकता हूं। मैं इसके लिए पूरी तरह प्रेरित हूं।
अगले साल होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों को भी लक्ष्य मानकर चल रहे सुशील ने कहा, मुझे लगातार दो महीने कड़ी ट्रेनिंग करनी है, जिससे मुझे पता लग जाएगा कि मैं कितना फिट हूं। अपने पहले वापसी टूर्नामेंट के लिए सुशील ने कहा कि उज्बेकिस्तान में एक टूर्नामेंट होना है, जिसमें उतरने की उनकी योजना है।
राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए सुशील ने कहा, मैं संभवत: आखिरी बार 2008-09 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप खेला था। हालांकि उसके बाद भी मैंने कुछ छोटे-छोटे टूर्नामेंट खेले। मेरा वज़न वर्ग 74 किग्रा है और मुझे इसी में उतरना है। मेरी प्रो कुश्ती लीग में उतरने की भी योजना है।
विश्व सीनियर चैंपियनशिप में भारतीय पहलवानों के खराब प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर सुशील ने कहा, इसे खराब नहीं कहा जा सकता क्योंकि सभी पदक विजेताओं से हारे थे। फर्क यही रहा कि हम कोई मेडल नहीं जीत सके। कई मुकाबले हमने नज़दीक से गंवाए।
इस प्रदर्शन के पीछे कारण पूछने पर उन्होंने कहा, एक पर्यवेक्षक के तौर पर मैंने सलाह दी थी कि खिलाड़ियों के पास अभ्यास के जोड़ीदार होने चाहिए। मैंने उन्हें ट्रेनिंग कराई थी लेकिन हर वज़न वर्ग में ट्रेनिंग के समय एक अच्छे जोड़ीदार का होना जरूरी है जो हमारे पहलवानों को नहीं मिल पाए। फ्रांस में अच्छे पहलवान नहीं हैं। मेरा यह सुझाव है कि बड़ी चैंपियनशिप से पहले ट्रेनिंग के लिए अच्छे जोड़ीदार होने चाहिए।
विश्व कुश्ती संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के दो दिन के नए नियम के बारे में पूछे जाने पर सुशील ने कहा कि अब पहलवानों को मानसिक रूप से मजबूत रहना होगा, क्योंकि दूसरे दिन भी उनके वज़न होंगे। (वार्ता)