चेन्नई। पूर्व विश्व शतरंज चैंपियन व्लादिमीर क्रैमनिक का मानना है कि भारत के दिग्गज खिलाड़ी विश्वनाथ आनंद अपने शीर्ष प्रदर्शन के समय से गुजर चुके हैं लेकिन इसके बावजूद काफी अच्छे खिलाड़ी हैं और उन्हें कुछ और वर्षों तक खेलना जारी रखना चाहिए। क्रैमनिक 2006 से 2007 तक विश्व चैंपियन रहे और आनंद ने 2008 में इस 44 साल के खिलाड़ी को हराकर ही विश्व खिताब जीता था।
मंगलवार शाम यहां 14 युवा भारतीय खिलाड़ियों के लिए शिविर के उद्घाटन के बाद रूस के ग्रैंडमास्टर क्रैमनिक ने कहा कि शायद वे अपने शीर्ष प्रदर्शन के समय से गुजर चुके हैं, क्योंकि उन्होंने इतना शीर्ष स्तर स्थापित किया है। शायद वह अब उतना अच्छा खिलाड़ी नहीं है जितना पहले होता था। लेकिन अपनी उम्र (50 साल) के हिसाब से वह बेहद अच्छा है।
उन्होंने कहा कि इस युग में इस उम्र में शीर्ष स्तर का खिलाड़ी बने रहना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। मैं यकीन से नहीं कह सकता कि अगली पीढ़ी ऐसा कर पाएगी। जब तक वह खेल का लुत्फ उठा रहा है, उसे खेलते रहना चाहिए। मुझे कुछ और वर्षों तक उसे खेलते हुए देखने की उम्मीद है। आनंद पिछले साल 50 बरस के हो गए और पिछले कुछ समय से अपनी फॉर्म को लेकर जूझ रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि खिलाड़ी के लिए संन्यास लेने के संकेत क्या हैं, क्रैमनिक ने कहा कि यह हमेशा नतीजों पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि अधिकांश मामलों में जब आप प्रत्येक बाजी हारना शुरू कर दो (हंसते हुए)। जब आपको लगने लगे कि आप पहले की तरह अच्छे खिलाड़ी नहीं हो, आपके खेल के स्तर में गिरावट आए। इसके अलावा कुछ और कारण भी हो सकते हैं। मुझे लगता है कि यह फैसला व्यक्तिगत खिलाड़ी को करना होता है।
क्रैमनिक ने कहा कि 40 साल के बाद युवा खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा मुश्किल हो जाती है लेकिन उतना अंतर नहीं होता जितना शारीरिक खेलों में होता है। विश्व चैंपियनशिप के पूर्व उपविजेता और यहां क्रैमनिक के साथ युवा भारतीय खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने वाले अनुभवी बोरिस गेलफेंड ने कहा कि आनंद जब तक अपने खेल का लुत्फ उठा रहे हैं, उन्हें खेलते रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब वह (आनंद) 2013 में विश्व चैंपियनशिप में मैगनस कार्लसन से हार गया तो लोगों ने उस पर संन्यास लेने का दबाव बनाया। यह पूरी तरह से बकवास था। जब तक वह लुत्फ उठा रहा है और बेहद अच्छे स्तर पर खेल रहा है, हमें तब तक खेलते रहने के लिए उसका धन्यवाद करना चाहिए। क्रैमनिक और गेलफेंड दोनों का मानना है कि भारत के पास शतरंज में काफी प्रतिभा है।