विंबलडन में खेल से ज्यादा खिलाड़ियों के दर्शक

मयंक मिश्रा
रविवार, 15 जुलाई 2018 (19:29 IST)
मैंने अपने पूरे करियर में इतना खाली सेंटर कोर्ट एक सेमीफाइनल में नहीं देखा, यह कहना था सेंटर कोर्ट पर तैनात एक सिक्योरिटी ऑफिसर का। शनिवार को पुरुषों के पहले सेमीफाइनल में एंडरसन और इस्नेर खेल रहे थे। इनमें से जरूर कोई खिलाडी फेडरर या नडाल जितना नामी ना हो, मगर यह दोनों अपनी मेहनत और खेल के दम पर विंबलडन के सेमीफाइनल में पहुंचे थे। इनमें से एक खिलाडी रविवार को ख़िताब जीतने के लिए कोर्ट पर होगा। 
 
 
जैसे की किसी ने फेडरर के हारने के बारे में नहीं सोचा होगा, वैसे ही इनके विंबलडन जीत सकने के बारे में भले ही कोई सोच नहीं रहा हो फिर भी संभावनाएं तो हैं ही। साथ ही जिस सेंटर कोर्ट को देखने या उसकी फोटो खींचने में ही लोग खुद को खुशनसीब मानते हैं, उसपर चल रहे एक सेमीफाइनल को देखने के लिए भी इतने कम लोगों का आना क्या यह बता रहा है की टेनिस बड़े नामों का खेल बनता जा रहा है। सबसे ज्यादा खाली सीटें रॉयल बॉक्स के पीछे की तरफ थी और पता करने पर मालूम चला की यह सीटें विंबलडन क्लब के सदस्यों की हैं। यह जानकर थोड़ा और अचरच हुआ जब विंबलडन के सदस्यों का रिस्पांस ही ऐसा है तो बाकी जनता की क्या बात करें। 
 
जॉन इस्नर का नाम विंबलडन के सबसे लंबे चले मैच के लिए जाना जाता है। अब उनका नाम सबसे लंबे चले सेमीफाइनल मैच के साथ भी जुड़ जाएगा। शनिवार को सेमीफाइनल में एंडरसन ने 6 घंटे 36 मिनट में पांचवे सेट में 26-24 के स्कोर के साथ जॉन इस्नर को हराया। इस्नर की सर्विस इस मैच के पहले इस साल विंबलडन में ब्रेक नहीं हुई थी। साथ ही उनकी सर्विस इस मैच के पहले कुल 7 बार ब्रेक पॉइंट तक पहुंचीं थी। 
 
एंडरसन ने उनकी सर्विस को चार बार ब्रेक करके मैच जीता। मैच के शुरू होने के साथ ही इसके ख़त्म होने का इंतजार दर्शकों को ज्यादा था। वे चौथे सेट में जहां इस्नर के लिए तालियां बजा रहे थे, तो पांचवे सेट में वे किसी भी खिलाडी के सर्विस ब्रेक हो सकने के मौकों पर तालियां बजा रहे थे। शायद यह रवैया इस मैच में इस्नर और एंडरसन के लिए की मेहनत से पूरा न्याय नहीं करता है। 
 
इस मैच में दोनों खिलाडियों ने जमकर मेहनत की थी। यह सिर्फ एक सर्विस का ही मैच नहीं था, इसमें सर्व और वॉली भी काफी खेलीं गई। इसमें ड्रॉप शॉट्स भी थे, विनर्स भी थे और लंबी रैलियां भी थी। इस मैच ने एक अच्छे सेमीफाइनल होने के सभी स्तरों को पार किया था। बस दर्शकों से ही कहीं चूक हो गई। 
 
पहले मैराथन सेमीफाइनल के रात आठ बजे के बाद ख़त्म होने से नडाल और जोकोविच का मैच सेंटर कोर्ट की बंद रूफ के नीचे शुरू हुआ। पहले गेम से ही इस मैच के आज ख़त्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे थे। जिन्होंने सिर्फ इस मैच को ही देखने के लिए सेंटर कोर्ट की टिकट ली थी उनके पैसे इस मैच के तीन सेटों ने जरूर चुकता कर दिए होंगे। 
 
पहले तीन सेटों का टेनिस इन दोनों खिलाडियों के स्तर का था। पॉइंट्स ऐसे हो रहे थे की उनपर बजने वाली तालियों से कई लोग अपने कान पर हाथ रखे हुए देखे गए। विंबलडन के आसपास रहने वालों से हुए करार के चलते विंबलडन का कोई भी मैच रात 11 बजे के बाद तक नहीं खेला जा सकता है। जब इस मैच को रोका गया तब तक जोकोविच 2 और नडाल एक सेट जीत चुके थे। आज चौथे सेट से मैच खेला जाएगा और नियमों के मुताबिक मैच बंद रूफ में शुरू हुआ था तो कल भी बंद रूफ में खेला जाएगा। भले ही मौसम एकदम साफ़ हो।
 
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