नई दिल्ली। सोनिया (57 किग्रा) ने शुक्रवार को यहां चल रही 10वीं एआईबीए महिला मुक्केबाजी विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में प्रवेश कर भारत का दूसरा रजत पदक पक्का किया जबकि सिमरनजीत कौर (64 किग्रा) को कड़े मुकाबले में हारने के बाद कांस्य पदक मिला। दोनों भारतीयों के खिलाफ मुक्केबाज काफी तेजतर्रार और फुर्तीली थीं जिससे मेजबानों की एक मुक्केबाज की रणनीति कहीं न कहीं कम रह गई, पर एक सटीक पंच से जीतने में सफल रही।
भारत की 4 मुक्केबाज सेमीफाइनल में पहुंची थीं जिसमें से 5 बार की चैंपियन एमसी मैरीकॉम (48 किग्रा) और शुक्रवार को सोनिया ने फाइनल में जगह सुनिश्चित की। अब इन 2 पदकों का रंग शनिवार को तय होगा, जब ये दोनों मुक्केबाज स्वर्ण पदक के लिए रिंग में चुनौती पेश करेंगी, पर 2 रजत पक्के हो गए हैं।
लंदन ओलंपिक की कांस्य पदकधारी मैरीकॉम शनिवार को यूक्रेन की हन्ना ओखोटा से भिड़ेंगी। भारत ने 2006 में भी महिला विश्व चैंपियनशिप की मेजबानी की थी जिसमें देश ने 3 स्वर्ण, एक रजत और 3 कांस्य से कुल 8 पदक अपनी झोली में डाले थे, जो देश का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बना रहेगा। सिमरनजीत और लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) ने 2 कांस्य पदक जीते।
भिवानी की सोनिया ने सेमीफाइनल में उत्तर कोरिया की जोन सोन ह्वा को 5-0 से शिकस्त देकर खिताबी भिड़त पक्की की। अब शनिवार को होने वाले फाइनल में वे जर्मनी की गैब्रियल आर्नेल वाहनर से भिड़ेंगी जिन्होंने नीदरलैंड की जेमियमा बेट्रियन को 5-0 से मात दी।
सिमरनजीत को अंतिम 4 में चीन की डान डोऊ से 1-4 से पराजय मिली। पांचों जजों ने चीन की मुक्केबाज को 30-27, 27-30, 30-27, 30-27, 29-28 अंक प्रदान किए। चीन की खिलाड़ी अब फाइनल में यूक्रेन की मारिया बोवा से भिड़ेंगी। जोन सोन ह्वा एशियाई खेलों की रजत पदकधारी हैं, जो काफी फुर्तीली थीं, पर सोनिया के पंच ज्यादा सटीक रहे जिससे जिससे इस भारतीय ने सर्वसम्मत फैसले में जीत हासिल की। जजों ने मेजबान देश की मुक्केबाज को 30-27, 30-27, 30-27, 29-28, 30-27 अंक प्रदान किए।
अपनी पहली बड़ी प्रतियोगिता खेल रहीं सोनिया ने अभी तक टूर्नामेंट के हर मुकाबले में पहले राउंड में प्रतिद्वंद्वी की मजबूती को परखा है और उसके बाद दूसरे व तीसरे राउंड में आक्रामक पंच से अंक जुटाए हैं। यह मुकाबला भी अलग नहीं रहा, पर चुनौती के लिहाज से यह काफी कठिन साबित हुआ। उन्होंने मुकाबले के बाद कहा कि यह मुकाबला काफी कठिन था। वे काफी मजबूत खिलाड़ी थी, लेकिन जैसे-जैसे बाउट आगे बढ़ी, मैं नियंत्रण बनाती रही और अंत में जीत मिली।
इस कड़े मुकाबले में जीत से सोनिया को भी विश्वास नहीं हो रहा था। उन्होंने कहा कि मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट है, अच्छा प्रदर्शन कर रही हूं। मुझे खुद विश्वास नहीं हो रहा कि शुक्रवार को फाइनल में पहुंच गई। सोचा नहीं था कि इस स्तर तक पहुंच पाऊंगी। मेरी प्रतिद्वंद्वी एशियाई खेलों की रजत पदकधारी थी, वह काफी तेजतर्रार थी, अंतिम राउंड में मैंने कोचों के कहे अनुसार आक्रामक खेल दिखाया। कोचों ने कहा था कि पहले 2 राउंड में आप दोनों बराबर हों और अगर जीतना है तो तीसरे में आक्रामक खेलना होगा।
फाइनल में मिलने वाली चुनौती के बारे में पूछने पर सोनिया ने कहा कि जी निश्चित रूप से यह काफी कड़ा होगा, क्योंकि दोनों मुक्केबाज हार्ड हिटर हैं जबकि मुझमें इसकी कमी है लेकिन मैं जी-जान लगा दूंगी। वे मानती हैं कि मेहनत के साथ किस्मत भी उनके साथ हैं, लेकिन वे स्वर्ण पदक के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहतीं।
सिमरनजीत इस हार से खुश नहीं थीं, हालांकि उन्हें पहले ही राउंड में चीनी खिलाड़ी के जानदार मुक्कों से चुनौती का अंदाजा हो गया। उन्होंने डिफेंस के साथ खेलते हुए कुछ सटीक पंच भी जमाए लेकिन ये उन्हें जीत दिलाने के लिए काफी नहीं थे।
उन्होंने कहा कि मुझे अब इससे (कांस्य पदक से) ही सब्र करना पड़ेगा। पहला राउंड मेरा नहीं था। दूसरे और तीसरे राउंड में थोड़ी कोशिश की, लेकिन तब भी था कि नतीजा कहीं भी जा सकता है। अंतिम राउंड में मुझे बोला गया था कि आक्रामक खेलो। चीन की मुक्केबाज काफी फुर्तीली होती है जिससे मैं उनकी फुर्ती के लिहाज से नहीं खेल सकी, मैं उन्हें पकड़ नहीं पाई।
दिन की अन्य वर्गों के मुकाबले में 51 किग्रा फ्लाईवेट के फाइनल में कजाखस्तान की जाइना शेकरबेकोवा का सामना उत्तर कोरिया की चोल मि पांग से होगा, वहीं मिडिलवेट 75 किग्रा का फाइनल नीदरलैंड्स की मिरेली नौचका फोंटजिन और चीन की शीर्ष वरीय कियान ली के बीच खेला जाएगा।