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पीवी सिंधु के लिए यादगार रहा वर्ष 2016

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016 (19:53 IST)
नई दिल्ली। रियो ओलंपिक में ऐतिहासिक रजत पदक, देश का सर्वोच्च राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार, चाइना ओपन के रूप में पहला सुपर सीरीज खिताब, वर्ष की सबसे ज्यादा सुधार करने वाली खिलाड़ी का पुरस्कार और विश्व सुपर सीरीज फाइनल्स में सेमीफाइनल तक का सफर- ये ऐसी उपलब्धियां हैं जिसने 21 साल की पीवी सिंधु को 2016 में भारतीय बैडमिंटन की 'गोल्डन गर्ल' बना दिया।
सिंधु ने जहां इस साल हैरतअंगेज कामयाबियां हासिल की, वहीं पूर्व नंबर 1 साइना नेहवाल के लिए यह एक निराशाजनक वर्ष रहा। सिंधु ने रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतकर न सिर्फ इतिहास रच दिया बल्कि उन्होंने हर भारतीय के चेहरे पर गर्वभरी मुस्कान बिखेर दी, वहीं पदक की सबसे प्रबल दावेदार मानी जा रही साइना को अपनी चोट के कारण ग्रुप दौर में हारकर बाहर हो जाना पड़ा।
 
21 साल की सिंधु के लिए 2016 उनके करियर का सबसे यादगार वर्ष बन गया। सिंधु रियो ओलंपिक में रजत हासिल करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गईं। इससे पहले लंदन ओलंपिक 2012 में साइना ने कांस्य पदक जीता था। 
 
भारत के पहले एशियाई चैंपियन दिनेश खन्ना ने कहा था कि सिंधु में ओलंपिक में पदक जीतने की क्षमता है लेकिन इसके लिए उन्हें अपने प्रदर्शन में निरंतरता बनाए रखनी होगी। खन्ना की यह बात सही साबित हुई। सिंधु को रियो ओलंपिक में अपने ऐतिहासिक रजत पदक का इनाम देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेलरत्न के रूप में मिला। 
 
सिंधु को एक अन्य बड़ा पुरस्कार दुबई में विश्व सुपर सीरीज फाइनल्स से पहले मिला, जब उन्हें अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन महासंघ ने वर्ष में सबसे ज्यादा सुधार करने वाली खिलाड़ी का पुरस्कार दिया। यह पुरस्कार पहली बार शुरू किया गया था।
 
रियो ओलंपिक के बाद सिंधु ने चाइना ओपन में बेहतरीन प्रदर्शन का नमूना पेश करते हुए अपना पहला सुपर सीरीज का खिताब जीता। फाइनल में सिंधु ने चीन की सुन यू को हराया। यह लगातार तीसरा साल था, जब कोई भारतीय महिला खिलाड़ी चाइना ओपन के फाइनल में पहुंची। 2014 में साइना ने चाइना ओपन का खिताब जीता था जबकि पिछले साल वे इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची थीं।
 
चाइना ओपन के बाद सिंधु हांगकांग ओपन के फाइनल मुकाबले में पहुंचीं लेकिन उन्हें चीनी ताइपे की तेई जू यिंग से हार का सामना करना पड़ा। सिंधु का यह तीसरा सुपर सीरीज फाइनल था। इससे पहले 2015 में डेनमार्क ओपन के फाइनल में सिंधु को हार मिली थी। हांगकांग ओपन के पुरुष एकल फाइनल में समीर वर्मा को उपविजेता बन कर संतोष करना पड़ा।
 
सिंधु ने इसके बाद मकाऊ ओपन से अपना अपना नाम वापस ले लिया। 3 बार की चैंपियन सिंधु ने दुबई सुपर सीरीज फाइनल्स की तैयारी के लिए इसमें नहीं खेलने का फैसला किया। वर्ष के आखिरी बैडमिंटन टूर्नामेंट विश्व सुपर सीरीज फाइनल्स के लिए सिंधु ने न सिर्फ पहली बार क्वालीफाई किया बल्कि वह सेमीफाइनल तक पहुंची जहां उन्हें कोरिया की सुंग जी ह्यून के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
 
सिंधु के लिए राहत की बात यही रही कि उन्होंने अपने आखिरी ग्रुप मैच में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता स्पेन की कैरोलिना मारिन को हराकर ओलंपिक की हार का बदला चुका लिया। साइना 6 साल में पहली बार इस प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाईं। 
 
विश्व बैडमिंटन महासंघ (बीडब्ल्यूएफ) की रैंकिंग में सिंधु ने अपनी सर्वश्रेष्ठ 7वीं रैंकिंग भी हासिल की जबकि साइना पिछले 7 वर्षो में पहली बार टॉप-10 से बाहर हो गईं, हालांकि दिसंबर तक उन्होंने टॉप-10 में वापसी कर ली। साइना रियो के बाद चाइना ओपन में पहले दौर में बाहर हो गईं लेकिन इसके बाद उन्होंने हांगकांग और मकाऊ ओपन में क्वार्टर फाइनल तक जगह बनाई।
 
साइना ने कहा है कि वे जनवरी तक अपनी फिटनेस में वापसी कर लेंगी। साइना के लिए साल का सबसे उल्लेखनीय प्रदर्शन रियो ओलंपिक से पहले ऑस्ट्रेलियन ओपन की जीत रही। भारतीय बैडमिंटन के लिए एक उल्लेखनीय प्रदर्शन उबेर कप में रहा जहां साइना, सिंधु और अनुभवी युगल खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा के दम पर भारत ने पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई और कांस्य पदक भी जीता। थॉमस कप में भारतीय पुरुष बैडमिंटन टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और उसने अपने ग्रुप में सभी 3 मुकाबले गंवाए।
 
सिंधु को अपने शानदार प्रदर्शन के बावजूद प्रीमियर बैडमिंटन लीग (पीबीएल) के दूसरे संस्करण के लिए हुई नीलामी में आश्चर्यजनक रूप से 39 लाख रुपए की कम कीमत मिली जबकि ओलंपिक स्वर्ण विजेता स्पेन की कैरोलिना मारिन को 61.5 लाख रुपए की सबसे ज्यादा कीमत मिली। ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने वाले देश के शीर्ष पुरुष खिलाड़ी किदाम्बी श्रीकांत को 51 लाख रुपए मिले जबकि साइना को 33 लाख रुपए मिले। (वार्ता)

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