नई दिल्ली। रियो ओलंपिक में मैराथन में पानी उपलब्ध न कराए जाने के लिए भारतीय महिला धावक ओपी जैशा के आरोपों के बाद गठित खेल मंत्रालय की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस गलती के लिए कोच निकोलई स्नेसारेव को दोषी ठहराया है।
खेल मंत्रालय ने जांच समिति की दो पेज की इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जब भारतीय अधिकारियों ने मैराथन से पूर्व खिलाड़ियों की जरूरतों के बारे में पूछा था तो कोच स्नेसारेव ने जैशा के लिए पानी की मांग को इनकार कर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया, टीम के नेतृत्वकर्ता सीके वाल्सन और उप-मुख्य कोच राधाकृष्णन ने जब निकोलई से मैराथन से पूर्व जैशा को व्यक्तिगत पेय पदार्थ देने की जरूरत के बारे में पूछा था। इसके बाद उन्होंने कहा था कि उसे किसी तरह के व्यक्तिगत पेय पदार्थ की जरूरत नहीं है।
इसमें कहा गया है, यह निश्चित रूप से संभव नहीं था कि टीम प्रबंधन या उनके कोच द्वारा जैशा से पूछा जाए कि उसे इस तरह के पेय पदार्थ की जरूरत है। जांच समिति के इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जैशा ने भी किसी तरह के पेय पदार्थ की मांग नहीं की थी जिसके कारण रियो ओलंपिक में मैराथन के दौरान पानी की कमी की वजह से फिनिश लाइन के निकट बेहोश होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है, पानी की उपलब्धता जैसे आम खिलाड़ियों के लिए रहती है उसी तरह से जैशा के लिए भी उपलब्ध थी। जहां पर पानी का वितरण किया जा रहा था वहां पर कोई भारतीय अधिकारी मौजूद नहीं था क्योंकि जैशा की तरफ से इस तरह के पेय पदार्थ की मांग नहीं की गई थी।
रिपोर्ट के अुनसार, शेष अन्य देशों के खिलाड़ियों की मांग पर उनके अधिकारी नियमों के मुताबिक बूथ पर मौजूद रहते हैं। खिलाड़ी के कोच उसके मुख्य मार्गदर्शक होते हैं और यह जरूरी है कि वह अपने खिलाड़ियों के हितों का ध्यान रखें। इसमें कहा गया है कि जैशा के कोच निकोलई और आयोजकों को जैशा के मैराथन के दौरान उनकी जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए था। इसी तरह के निर्देश या सलाह जैशा को भी दी जानी चाहिए। (वार्ता)