ब्यूनस आयर्स। डिएगो माराडोना के निधन से जहां दुनियाभर में फुटबॉलप्रेमी शोकाकुल हैं, वहीं उनके देश अर्जेंटीना में तो मानों आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है और हर कोई उनसे जुड़े स्थानों पर जमा होकर एक-दूसरे का दु:ख बांट रहा है।
अर्जेंटीना के फुटबॉलप्रेमी विला फियोरिटो में उस छोटे से मकान के बाहर जमा हुए, जहां उनके महानायक माराडोना का जन्म हुआ और वे पले-बढ़े। विला फियोरिटो के जिस धूल-धसरित मैदान पर माराडोना ने फुटबॉल का ककहरा सीखा था, वहां उनकी याद में कोई आंसू नहीं बहाए गए बल्कि उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाया गया।
वे उस अर्जेंटीनोस जूनियर स्टेडियम पर भी जमा हुए, जहां माराडोना ने 1976 में पेशेवर फुटबॉल में पहला कदम रखा था। वे बोका जूनियर्स के ऐतिहासिक ला बोंबोनेरा स्टेडियम के बाहर भी इकट्ठे हुए। जिम्नासिया ला प्लाटा के मुख्यालय के बाहर भी फुटबॉलप्रेमी जमा हुए। माराडोना इस टीम के कोच रहे थे।
फुटबॉलप्रेमियों की भीड़ में मौजूद डॉक्टर डांटे लोपेज ने कहा कि मैं विश्वास नहीं कर पा रहा हूं। मुझे समझ में नहीं आ रहा है। डिएगो कभी मर नहीं सकता, आज माराडोना- एक मिथक का जन्म हुआ है। प्रशंसकों ने उनकी याद में मोमबत्तियां जलाईं और फूल चढ़ाए।
अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अलबर्टो फर्नांडीज ने कहा कि दुनिया के लिए अर्जेंटीना का मतलब डिएगो था। उसने हमें खुशियां दीं, इतनी खुशियां कि हम कभी उसका ऋण नहीं चुका सकेंगे। अर्जेंटीना में 3 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा कर दी गई है। एक फुटबॉलप्रेमी पैट्रिशिया सांचेस ने कहा कि माराडोना हमारे पिता की तरह थे और हम उनके बच्चे। (भाषा)