Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

लक्ष्य और चिराग को भारतीय टीम में जगह मिलने से सेन परिवार में खुशी का माहौल

हमें फॉलो करें लक्ष्य और चिराग को भारतीय टीम में जगह मिलने से सेन परिवार में खुशी का माहौल

WD Sports Desk

, मंगलवार, 9 जनवरी 2024 (18:25 IST)
  • लक्ष्य पिछले काफी समय से अंतरराष्ट्रीय सर्किट में खेल रहे है
  • डीके सेन दोनों बेटों को राष्ट्रीय टीम में जगह मिलने से भावुक हो गये
  • बैडमिंटन से सेन परिवार में का पुराना नाता रहा है

उत्तराखंड के अल्मोड़ा के पहाड़ी इलाकों से बेंगलुरु की गलियों तक लक्ष्य और चिराग सेन का सफर भारतीय बैडमिंटन टीम तक पहुंच गया है।सेन बंधुओं को 13 से 19 फरवरी तक मलेशिया के शाह आलम में आयोजित होने वाली बैडमिंटन एशिया टीम चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है।  लक्ष्य पिछले काफी समय से अंतरराष्ट्रीय सर्किट में खेल रहे है जबकि सीनियर राष्ट्रीय चैम्पियन चिराग को पहली बार राष्ट्रीय टीम में शामिल किया गया है।

लक्ष्य और चिराग के पिता और कोच डीके सेन दोनों बेटों को राष्ट्रीय टीम में जगह मिलने से भावुक हो गये। उन्होंने बेंगलुरु से ‘PTI-(भाषा)’ से कहा, ‘‘उन दोनों को भारतीय टीम में देखना एक परिवार के रूप में हमारे लिए एक बड़ा क्षण है। जहां से उन्होंने बच्चों के रूप में शुरुआत की और इस मुकाम तक पहुंचे, एक पिता और एक कोच के रूप में मैं काफी भावुक महसूस करता हूं। मुझे बेहद गर्व महसूस हो रहा है।’’

भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के अलमोड़ा केंद्र (1991) से जुड़ने से पहले भोपाल, मेरठ में अपनी सेवाएं दे चुके डीके सेन ने कहा, ‘‘ वे दोनों मलेशिया मास्टर्स के लिए कुआलालंपुर में है। ऐसे में मैंने अभी तक उनसे बात नहीं की है।’’

बैडमिंटन से सेन परिवार में का पुराना नाता रहा है। डीके सेन ने इस खेल को अपने पिता से सीखा। जिन्होंने अखिल भारतीय सिविल सेवा टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा करते हुए कई पदक जीते। उन्होंने अल्मोड़ा में साई केंद्र की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी केंद्र से 2023 की राष्ट्रीय चैंपियन अनुपमा उपाध्याय जैसे कुछ शानदार खिलाड़ी बाहर निकले।

डीके सेन ने बताया कि दोनों भाईयों में चिराग ने पहले बैडमिंटन में दिलचस्पी लेना शुरू किया।उन्होंने कहा, ‘‘ चिराग एक बैडमिंटन खिलाड़ी बनना चाहता था, जबकि लक्ष्य ने शुरू में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी।  वह प्रशिक्षण के लिए आता था और धीरे-धीरे इस खेल को सीखने लगा।’’

डीके सेन ने जब अपने बड़े बेटे को बेंगलुरु में प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी (PPBA) में भेजने का फैसला किया, तो लक्ष्य भी चिराग के साथ चला गया।लक्ष्य के कम उम्र के कारण परिवार के मन में उसे बेंगलुरु भेजने को लेकर संकोच था लेकिन छोटे बच्चे के उत्साह को देखते हुए उन्होंने ऐसा करने का फैसला किया।

डीके सेन ने कहा, ‘‘चिराग और लक्ष्य हमेशा एक साथ रहे हैं। उन्होंने मेरे मार्गदर्शन में अल्मोड़ा में शुरुआत की और फिर पीपीबीए में एक साथ रहे। वास्तव में, चिराग ही वह व्यक्ति था जो बेंगलुरु में अकेले होने पर लक्ष्य की देखभाल करता था। वह हमेशा उसके लिए मौजूद था।’’


पच्चीस साल के चिराग पिछले कुछ वर्षों से घरेलू सर्किट में नियमित हैं। उन्होंने 2020 कीनिया अंतरराष्ट्रीय के में जीत दर्ज की थी। उन्हें हालांकि इसके बाद सीनियर टूर्नामेंटों में ज्यादा सफलता नहीं मिली।

लक्ष्य ने दूसरी ओर जूनियर सर्किट में जल्दी ही अपनी योग्यता साबित कर दी और आसानी से सीनियर वर्ग में जगह बना ली। उन्होंने दो सुपर 500 खिताब (इंडिया ओपन और कनाडा ओपन) जीतने के अलावा 2021 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य और ऑल इंग्लैंड में रजत पदक जीता।चिराग ने पिछले महीने गुवाहाटी में सीनियर राष्ट्रीय चैंपियन का खिताब जीतकर सुर्खियां बटोरी। वह 2017 और 2019 में दो बार फाइनल में पहुंचे थे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारत ने जहाँ दूसरा मैच खेला, ICC ने उस पिच को Unsatisfactory बताया