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भारतीय बच्चों को अब विदेशी कोच देंगे फुटबॉल की ट्रेनिंग, हल्द्वानी में खुलेगी पहली फुटबाल अकादमी

हमें फॉलो करें भारतीय बच्चों को अब विदेशी कोच देंगे फुटबॉल की ट्रेनिंग, हल्द्वानी में खुलेगी पहली फुटबाल अकादमी
, गुरुवार, 1 अप्रैल 2021 (22:49 IST)
नई दिल्ली: भारतीय फुटबॉल की दशा और दिशा सुधारने के लिए वैसे तो कई सारे फुटबॉल क्लब दावा करते हैं, लेकिन ग्रासरूट लेवल पर कुछ ही काम कर रहे है। ऐसे ही फुटबॉल क्लब है यंग ब्वायज एफसी और बीयूएफसी उत्तराखंड जिन्होंने पहली बार एलीट अकादमी की स्थापना की है। ये एलीट अकादमी विदेशी कोचों के सहयोग से बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कोचिंग देगी और भारतीय फुटबॉल में एक नए मानक स्थापित करने का प्रयास करेगी।
 
इंडो यूरोप स्पोर्ट्स एंड यंग ब्वायज एफसी द्वारा आयोजित कार्यक्रम के चलते देश के जाने माने कोच बीरू मल, दिल्ली फुटबाल के वरिष्ठ प्रशासक नरेंद्र भाटिया, सदस्य फुटबाल दिल्ली शिप्रा भाटिया और बीयूएफसी उत्तराखंड के कार्यकारी निदेशक द्रोण भारद्वाज ने भारतीय फुटबाल के बारे में अपने विचार रखे और एकमत से माना कि यूरोप के नामी कोचों को समय समय पर भारत बुला कर भारतीय फुटबाल में सुधार किया जा सकता है।
 
यंग ब्वायज एफसी और बीयूएफसी उत्तराखंड ने इसके लिए यूरोपियन और नार्थ अमेरिकी क्लबों के साथ करार किया है जिसके तहत कई विदेशी कोच भारत आकर बच्चों को ट्रेनिंग देंगे। अभी भारत में मेक्सिको के फुटबॉल कोच डेविड फर्नांडिस तक़रीबन दो हफ़्तों तक बच्चों को कोचिंग देंगे। शुक्रवार से दिल्ली के डॉ अम्बेडकर स्टेडियम में इसकी शुरुआत होगी जिसमें तक़रीबन 300 से ज्यादा बच्चों के भाग लेने की संभावना है। आयोजकों ने कहा कि इस ट्रेनिंग में कोरोना की सभी गाइडलाइन्स का पालन किया जाएगा।
 
इंडो यूरोप स्पोर्टस के डायरेक्टर वसीम अल्वी ने बताया कि डेविड केअलावा हंगरी के पीटर तामस, हॉलैंड के बो रेंज और जर्मनी के बर्नहार्ड लेहनेर्ट शीघ्र भारत पहुंच रहे हैं और शनिवार को आठ बजे सुबह से दिल्ली के अम्बेडकर स्टेडियम में आयोजित होने वाले फुटबाल प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेंगे। सभी स्थानीय खिलाड़ियों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। उनसे कोई फीस नहीं ली जाएगी। अल्वी के अनुसार भारतीय खिलाड़ियों और कोचों को विदेशी कोचों से सीखने का सुनहरी मौका है, जो कि उन्हें बिना किसी शुल्क के सिखाने आ रहे हैं।
 
भारतीय फुटबॉल की दशा के बारे में बात करते हुए अन्तरराष्ट्रीय फुटबॉल कोच और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के पूर्व डायरेक्टर डॉ बीरूमल ने कहा , “भारत में टैलेंट की कमी नहीं है, लेकिन जरुरत है उस टैलेंट को निखारने की। भारतीय खिलाडियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए जिस तरह की ट्रेनिंग की जरुरत होती है वह अभी नहीं दी जा रही है। हम दुनिया से अभी भी बहुत पीछे चल रहे हैं।”
 
डॉ बीरूमल ने कहा, “तक़रीबन सभी यूरोपियन देशों में ट्रेनिंग पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाता है। कोचों की जिम्मेदारी होती है कि वह बच्चों को कैसी ट्रेनिंग दें, लेकिन भारत में कोचों के पास ट्रेनिंग देने के अलावा सभी काम है, इसीलिए हम विवाद में रहे हैं।यहाँ के कोचों को पता ही नहीं रहता है कि बच्चों को किस तरह की जरुरत है। नतीजा अच्छे पोटेंशियल वाले बच्चे भी कुछ दिनों के बाद ख़राब खेलने लगते हैं।”
 
अल्वी ने कहा कि इंडो यूरोप स्पोर्ट्स के सभी कोच अंतरराष्ट्रीय ख्याति के हैं और लाइसेन्स कोर्स कर चुके हैं। इंडो यूरोप स्पोर्टस ने अगले तीन वर्षों में उत्तर भारत में 30 अकादमियां खोलने का लक्ष्य रखा है, जिसकी शुरुआत हल्द्वानी से की जा रही है। मैक्सिको के कोच डेविड कोआमंत्रित करने का मुख्य कारण यह है कि इंडो मेक्सिकन फुटबाल एक्सीलेंस द्वारा उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक अन्तरराष्ट्रीय फुटबाल अकादमी शुरू की जा रही है, जिसमें देशभर के चुने हुए खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
 
मेक्सिको के फुटबॉल कोच डेविड फर्नांडिस ने डॉक्टर बीरूमल की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि, यहाँ के बच्चों में मोबिलिटी पर ध्यान देने की जरुरत है। कोचिंग में इस पर बहुत कम काम किया जाता है। उन्होंने कहा कि वह सबसे पहले बच्चों में मोबिलिटी पर ध्यान देंगे। उसके बाद फुटबॉल की बेसिक स्किल्स सिखाने का काम करेंगे। उन्होंने भारत में फुटबॉल कल्चर बढाने पर जोर देने की बात कही।
 
इस अवसर पर ख्याति प्राप्त कोच बीरू मल ने कहा कि भारत में अच्छे कोचों की भारी कमी है। जरूरत इस बात की है कि हमारे खिलाड़ी और कोच विदेशी कोचों से सीखें और आधुनिक फुटबाल में आगे बढ़ने के तरीके आजमाएं। उन्हें इस बात का अफसोस है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बस एक सुनील छेत्री नाम का खिलाड़ी है।
 
डेविड फर्नांडेज को उम्मीद है कि यदि भारत में विदेशी कोचों से सीखने का चलन बना रहा तो बहुत जल्दी ही भारतीय फुटबाल आगे बढ़ सकती है। वह मानते हैं कि भारत को इस दिशा में बहुत कुछ करना है। हर गली और शहर में अकादमियों के गठन से ही ऐसा संभव हो पाएगा।
 
शिप्रा भाटिया ने अल्वी के प्रयासों को सराहा और सुझाव दिया कि महिला खिलाड़ियों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ताकि समय रहते लड़कियां भी फुटबाल को आजीविका का जरिया बना सकें। भारत में महिलाओं का फुटबॉल में कम लगाव की बात करते हुए दिल्ली फुटबॉल की एकमात्र महिला पदाधिकारी शिप्रा ने कहा , “एक तो फुटबॉल खेल ही अब कम खेला जाने लगा है उसपर लड़कियों का इसमें भाग लेना बहुत कम हो गया है।

इसका कारण लड़कियों के माता पिता बहुत ज्यादा डरे हुए रहते हैं कि बाहर कैसा माहौल होगा। अकादमी में किस तरह के लोग होंगे। भारत में लड़कियों के साथ ये बहुत बड़ी समस्या है। इसे दूर करना होगा तभी लड़कियां फुटबॉल खेल सकेंगी। अभी धीरे धीरे लोग जागरूक हो रहे हैं, और यही कारण है कि इस बार दिल्ली लीग में कई टीमे खेल रही हैं ।”(वार्ता)

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