लखनऊ। भारतीय जूनियर हॉकी टीम अपनी सरजमीं पर अगले सप्ताह से शुरू हो रहे विश्व कप में जब खेलने उतरेगी तो उसका लक्ष्य निश्चित रूप से यहां खिताब जीतकर 2001 के इतिहास की पुनरावृत्ति करना होगा।
भारतीय टीम ने 2001 में जूनियर विश्व कप जीता था। भारतीय टीम ने उस समय अपने अभियान की शुरुआत कनाडा को हराकर की थी और इस बार 8 दिसंबर से लखनऊ में शुरू हो रहे इस मेगा टूर्नामेंट में भी वह अपने अभियान की शुरुआत कनाडा के खिलाफ करेगी।
घरेलू दर्शकों के अपार समर्थन के बीच भारतीय जूनियर टीम के पास खिताब जीतने का सुनहरा मौका रहेगा। दिलचस्प बात है कि कनाडा की टीम में 10 खिलाड़ी भारतीय मूल के ही हैं जिसमें 9 अकेले पंजाब से ही हैं।
कनाडा की टीम में बेहतरीन खिलाड़ी हैं और भारतीय टीम को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। कनाडा के कोच पूर्व भारतीय खिलाड़ी ही हैं। वर्ष 2001 में कनाडाई टीम अपेक्षाकृत कमजोर थी और भारतीय टीम ने आसानी से उसे 5-0 से रौंद दिया था। भारतीय टीम का प्रदर्शन पूरे टूर्नामेंट के दौरान शानदार रहा था और वह अपने सभी तीनों मैच जीतकर अपने ग्रुप में शीर्ष पर रही थी।
भारत ने ऑस्ट्रेलिया के होबार्ट में खेले गए जूनियर विश्व कप में फाइनल में अर्जेंटीना को 6-1 से एकतरफा अंदाज में रौंदकर पहली बार इस खिताब पर कब्जा किया था। पिछले सत्र में भारतीय टीम के पास अपनी मेजबानी में हुए इस टूर्नामेंट में खिताब जीतने का मौका था लेकिन उसने बेहद लचर प्रदर्शन कर इस मौके को गंवा दिया।
दिल्ली में 2013 में संपन्न विश्व कप में भारतीय टीम तथा कनाडा दोनों ही समान ग्रुप में थीं लेकिन उन्हें ग्रुप चरण में ही बाहर हो जाना पड़ा था। ग्रुप चरण में भारत तथा दक्षिण कोरिया दोनों के एक समान 4-4 अंक थे लेकिन बेहतर औसत के चलते दक्षिण कोरिया क्वार्टरफाइनल में जगह बनाने में सफल रहा था।
इस बार भारतीय टीम का नेतृत्व संभाल रहे हरजीत सिंह ने विश्वास व्यक्त किया है कि टीम कनाडा के खिलाफ अपने आरंभिक मैच में जीत हासिल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हरजीत यहां पिछले 1 सप्ताह से कड़े अभ्यास में व्यस्त हैं।
सीनियर टीम के भी सदस्य हरजीत ने कहा कि हम कनाडा के खिलाफ मैच को लेकर पूरी तरह से गंभीर हैं। कनाडा की टीम एक बेहतरीन टीम है और हम उसे कतई हल्के में नहीं ले सकते हैं। सीनियर टीम के कोच रोलैंट ओल्टमैंस ने भी जूनियर टीम के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद व्यक्त की है। (वार्ता)