नई दिल्ली फीफा विश्व कप कतर 2022 और एशियाई कप चीन 2023 के तीन बचे हुए क्वालीफायर मुकाबलों के लिए 28 सदस्यीय भारतीय फुटबॉल टीम सुरक्षित दोहा पहुंच गई है। वह यहां तीन जून से क्वालीफायर मैच खेलेगी।
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने टीम के सुरक्षित रूप से दोहा के हमद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचने पर कतर फुटबॉल संघ का धन्यवाद किया है। एआईएफएफ ने एक बयान में कहा, “ भारतीय फुटबॉल टीम के दोहा में पहुंचने और शिविर शुरू करने में मदद और सहयोग के लिए हम कतर फुटबॉल महासंघ का आभार व्यक्त करते हैं। ये सभी एक साथ फुटबॉल को आगे ले जाने के प्रयास हैं। ”
उल्लेखनीय है कि आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने तक सभी 28 खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ अनिवार्य क्वारंटीन में रहेंगे । इसके बाद टीम को मुकाबलों की तैयारी के हिस्से के रूप में अपने प्रशिक्षण शिविर को शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।
आईएफएफ का बायो बबल अंतरराष्ट्रीय महासंघों के लिये अध्ययन का विषय : कुशल दास
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के कोविड—19 के लिये तैयार किये गये जैव सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) को लेकर पहले आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी लेकिन कई महीनों, मैचों और प्रतियोगिताओं के बाद भी यह अभेद्य बना हुआ है।
एआईएफएफ के महासचिव कुशल दास को लगता है कि उनका बायो बबल विभिन्न संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों के लिये अध्ययन का विषय हो सकता है। कई खेल महासंघों के बायो बबल में वायरस की घुसपैठ हो गयी थी जिसके कारण टूर्नामेंटों को रद्द और मैचों को स्थगित करना पड़ा।
जहां तक भारतीय फुटबॉल का सवाल है तो पिछले साल अक्टूबर से आई लीग क्वालीफायर शुरू होने के बाद कोई भी प्रतियोगिता रद्द नहीं की गयी।
दास ने कहा, 'विश्व फुटबाल की संस्था फीफा और एशियाई संस्था एएफसी ने भी प्रशंसा की है। भारतीय फुटबॉल का बायो बबल प्रोटोकॉल केवल खेल प्रबंधन संस्थानों ही नहीं बल्कि दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय महासंघों के लिये भी अध्ययन का विषय है। '
महामारी के बावजूद प्रतियोगिता के सफल आयोजन का कारण एआईएफएफ के कड़े उपाय रहे जिनमें स्टेडियमों में वीआईपी संस्कृति की पूर्णत: अनदेखी भी शामिल है। एक बार बायो बबल के अंदर घुसने के बाद किसी को भी उससे बाहर आने की अनुमति नहीं थी।
दास ने कहा, 'हमारे बायो बबल प्रोटोकॉल में हमारी सबसे बड़ी सफलता यह रही कि इसका उल्लंघन नहीं किया गया। हमने वीआईपी संस्कृति को प्रश्रय नहीं दिया और जो भी खिलाड़ी या स्टाफ का सदस्य एक बार बायो बबल में घुस गया उसे पूरे टूर्नामेंट के दौरान बाहर आने की अनुमति नहीं दी गयी। किसी को भी इस तरह की अनुमति नहीं मिली। '
उन्होंने कहा, 'हमने हर तीन—चार दिन में परीक्षण करवाये और यदि किसी का परीक्षण पॉजीटिव आया तो उसे 17 दिन तक अलग थलग रखा गया तथा आरटी पीसीआर के तीन परीक्षण नेगेटिव आने पर ही उसे बाहर आने की अनुमति दी गयी। ' दास ने कहा, 'यह कड़ा था लेकिन पूरे बायो बबल के दौरान एआईएफएफ स्टाफ ने जो बलिदान किया वह सराहनीय था। हमारे पास यहां तक कि बायो बबल में एक्सरे मशीन, चिकित्सक, फिजियो, मालिशिये, चालक भी थे ताकि पूरी तरह से टिकाऊ जैव सुरक्षित वातावरण तैयार किया जा सके।'