टोक्यो पैरालिंपिक में भारत का कमाल: 2 गोल्ड, 2 सिल्वर और 1 ब्रॉन्ज, भाला फेंक में 3 मेडल

Webdunia
सोमवार, 30 अगस्त 2021 (10:45 IST)
टोक्यो: भारत की अवनि लेखरा ने सोमवार को यहां टोक्यो पैरालंपिक खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के आर-2 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा।

जयपुर की रहने वाली यह 19 वर्षीय निशानेबाज पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गयी हैं। उनकी रीढ़ की हड्डी में 2012 में कार दुर्घटना में चोट लग गयी थी। उन्होंने 249.6 अंक बनाकर विश्व रिकार्ड की बराबरी की। यह पैरालंपिक खेलों का नया रिकार्ड है।

अवनि से से पहले भारत की तरफ से पैरालंपिक खेलों में मुरलीकांत पेटकर (पुरुष तैराकी, 1972), देवेंद्र झाझरिया (पुरुष भाला फेंक, 2004 और 2016) तथा मरियप्पन थंगावेलु (पुरुष ऊंची कूद, 2016) ने स्वर्ण पदक जीते थे।

यह भारत का इन खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में भी पहला पदक है। टोक्यो पैरालंपिक में भी यह देश का पहला स्वर्ण पदक है। पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली वह तीसरी भारतीय महिला हैं।

अवनि ने फाइनल में चीन की रियो पैरालंपिक की स्वर्ण पदक विजेता झांग कुइपिंग (248.9 अंक) को पीछे छोड़ा। यूक्रेन की विश्व में नंबर एक और मौजूदा विश्व चैंपियन इरियाना शेतनिक (227.5) ने कांस्य पदक जीता।

अवनि का यह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पहला पदक है। वह 2019 में विश्व चैंपियनशिप में चौथे स्थान पर रही थी। पहली बार पैरालंपिक में भाग ले रही विश्व में पांचवीं रैंकिंग की अवनि ने क्वालीफिकेशन और फाइनल्स दोनों में लगातार 10 से अधिक के स्कोर बनाये।

वह विश्व रिकार्ड तोड़ने के करीब थी लेकिन आखिर में 9.9 के दो स्कोर से ऐसा नहीं कर पायी।

अवनि ने इससे पहले क्वालीफिकेशन राउंड में 21 निशानेबाजों के बीच सातवें स्थान पर रहकर फाइनल्स में प्रवेश किया था। उन्होंने 60 सीरीज के छह शॉट के बाद 621.7 का स्कोर बनाया जो शीर्ष आठ निशानेबाजों में जगह बनाने के लिये पर्याप्त था।

अवनि को उनके पिता ने खेलों में जाने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने पहले निशानेबाजी और तीरंदाजी दोनों खेलों में हाथ आजमाये। उन्हें निशानेबाजी अच्छी लगी। उन्हें बीजिंग ओलंपिक 2008 के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की किताब पढ़कर भी प्रेरणा मिली।

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘अविस्मरणीय प्रदर्शन अवनि लेखरा। कड़ी मेहनत की बदौलत स्वर्ण जीतने पर बधाई जिसकी आप हकदार भी थी। कर्मशील स्वभाव और निशानेबाजी के प्रति जज्बे से आपने ऐसा संभव कर दिखाया। भारतीय खेलों के लिए यह एक विशेष क्षण है। आपको भविष्य के लिये शुभकामनाएं।’’

अवनि पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। रविवार को भाविनाबेन पटेल ने महिला टेबल टेनिस में रजत पदक जीता था। भारतीय पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष दीपा मलिक रियो पैरालंपिक 2016 में गोला फेंक में रजत पदक जीतकर इन खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थी।

अवनि मिश्रित 10 मीटर एयर राइफल प्रोन एसएच1, महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन एसएच1 और मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन में भी हिस्सा लेंगी।

स्टार पैरा एथलीट और दो बार के स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया पैरालंपिक खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में सोमवार को रजत पदक जीता जबकि चक्का फेंक के एथलीट योगेश कथूनिया ने भी दूसरा स्थान हासिल किया जिससे भारत ने इन खेलों में सर्वाधिक पदक जीतने के अपने पिछले रिकार्ड को पीछे छोड़ा।

सुंदर सिंह गुर्जर ने भी कांस्य पदक जीता। वह पुरुषों के भाला फेंक के एफ46 स्पर्धा में झाझरिया के बाद दूसरे स्थान पर रहे। एफ46 में एथलीटों के हाथों में विकार और मांसपेशियों में कमजोरी होती है। इसमें खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं।

एथेंस (2004) और रियो (2016) में स्वर्ण पदक जीतने वाले 40 वर्षीय झाझरिया ने एफ46 वर्ग में 64.35 मीटर भाला फेंककर अपना पिछला रिकार्ड तोड़ा।

श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने हालांकि 67.79 मीटर भाला फेंककर भारतीय एथलीट का स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी करने का सपना पूरा नहीं होने दिया। श्रीलंकाई एथलीट ने अपने इस प्रयास से झाझरिया का पिछला विश्व रिकार्ड भी तोड़ा।

झाझरिया जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ते समय दुर्घटनावश बिजली की तार छू जाने से उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया था। उनके नाम पर पहले 63.97 मीटर के साथ विश्व रिकार्ड दर्ज था।

इससे पहले कथूनिया ने पुरुषों के चक्का फेंक के एफ56 स्पर्धा में रजत पदक जीता था। दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से बी कॉम करने वाले 24 वर्षीय कथूनिया ने अपने छठे और आखिरी प्रयास में 44.38 मीटर चक्का फेंककर रजत पदक जीता।

भारत ने 2016 पैरालंपिक खेलों में चार पदक जीते थे लेकिन टोक्यो पैरालंपिक में वह अभी तक सात पदक जीत चुका है।

रविवार को महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल और ऊंची कूद के एथलीट निषाद कुमार ने रजत पदक जीते लेकिन विनोद कुमार का चक्का फेंक की एफ52 स्पर्धा में कांस्य पदक उनके क्लासीफिकेशन को लेकर विरोध दर्ज होने के कारण रोक दिया गया। सोमवार को अवनि लेखरा ने निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीता।

आठ साल की उम्र में लकवाग्रस्त होने वाले कथूनिया शुरू में पहले स्थान पर चल रहे थे लेकिन ब्राजील के मौजूदा चैंपियन बतिस्ता डोस सांतोस 45.59 मीटर के साथ स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे। क्यूबा के लियानार्डो डियाज अलडाना (43.36 मीटर) ने कांस्य पदक जीता।

जब वह किरोड़ीमल कॉलेज में थे तब कई प्रशिक्षकों ने उनकी प्रतिभा पहचानी। इसके बाद जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में सत्यपाल सिंह ने उनके कौशल को निखारा। बाद में उन्हें कोच नवल सिंह ने कोचिंग दी।

कथूनिया ने 2018 में बर्लिन में पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री के रूप में पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और विश्व रिकार्ड बनाया था।

जैवलीन थ्रो में सुमित ने जीता गोल्ड, पैरालंपिक में बनाया विश्व रिकॉर्ड

भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल ने सोमवार को यहां पुरुषों की एफ64 स्पर्धा में कई बार विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारत को पैरालंपिक में दूसरा स्वर्ण पदक दिलाकर खेलों में शानदार पदार्पण किया।

हरियाणा के सोनीपत के 23 साल के सुमित ने अपने पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका जो दिन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और एक नया विश्व रिकॉर्ड था।उनके थ्रो की सीरीज 66.95, 68.08, 65.27, 66.71, 68.55 और फाउल रही।(भाषा))

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