नई दिल्ली। दो साल पहले पिता की नौकरी जाने के बाद परिवार का गुजारा मां ने सब्जी बेचकर किया, लेकिन इतने कठिन हालात में भी जैकसन सिंह का फुटबॉल को लेकर जुनून कम नहीं हुआ और अब यह मिडफील्डर फीफा अंडर 17 विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा है।
भारत की 21 सदस्यीय टीम के सदस्य जैकसन मणिपुर के थोउबल जिले के हाओखा ममांग गांव के हैं। उनके पिता कोंथुआजम देबेन सिंह को 2015 में पक्षाघात हुआ और उन्हें मणिपुर पुलिस की अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। उनके परिवार का खर्च मां इम्फाल के ख्वैरामबंद बाजार में सब्जी बेचकर चलाती है जो घर से 25 किलोमीटर दूर है।
जैकसन ने कहा कि जब मैं 2010 में घर से चंडीगढ़ आया तब सब कुछ ठीक था, लेकिन मेरे पिता को 2015 में पक्षाघात आया और अब वह आजीविका कमाने की स्थिति में नहीं है। मेरी मां और नानी इम्फाल में सब्जी बेचती है और इसी से हमारा घर चलता है।
उसने कहा कि मैं बचपन से भारत के लिए खेलने का सपना देखता आया हूं और मेरी जिंदगी बदल गई है। मैं विश्व कप में भारत की जर्सी पहनने को बेताब हूं हालांकि परिवार की स्थिति को लेकर भी चिंतित हूं। जैकसन के बड़े भाई जोनिचंदसिंह कोलकाता प्रीमियर लीग में पीयरलेस क्लब के लिए खेलते हैं लेकिन उनकी आय से परिवार की दशा में ज्यादा सुधार नहीं आया है।
जैकसन को खराब माली हालात के अलावा 2015 में चयनकर्ताओं की उपेक्षा भी झेलनी पड़ी जब वह चंडीगढ में अकादमी में थे। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अंडर 17 विश्व कप के लिए टीम में जगह बनाई। पहले चंडीगढ फुटबॉल अकादमी के साथ खेलने वाले जैकसन बाद में मिनर्वा से जुड़े और राष्ट्रीय अंडर 15 तथा अंडर 16 खिताब जीतने वाली टीम की कप्तानी की। (भाषा)