नई दिल्ली। रियो ओलम्पिक में मामूली अंतर से पदक से चूक कर ऐतिहासिक चौथा स्थान हासिल करने वाली स्टार जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने दो साल के लंबे अंतराल के बाद स्वर्णिम वापसी कर ली है। लगभग दो साल बाद वापसी कर रही दीपा ने तुर्की के मर्सिन शहर में आयोजित एफआईजी आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक्स वर्ल्ड चैलेंज कप में वॉल्ट स्पर्धा में रविवार को स्वर्ण पदक जीत लिया।
त्रिपुरा की 24 वर्षीय दीपा 2016 के रियो ओलम्पिक की वॉल्ट स्पर्धा में चौथे स्थान पर रही थीं। उन्होंने तुर्की में 14.150 अंकों के साथ स्वर्ण जीता जो वर्ल्ड चैलेंज कप में उनका पहला पदक है। दीपा ने क्वॉलिफिकेशन राउंड में 13.400 अंकों के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया था।
दीपा के कोच बिशेश्वर नंदी उनके साथ हैं। दीपा ने बैलेंस टीम फाइनल में भी जगह बनाई थी, लेकिन क्वॉलिफिकेशन राउंड में वे 11.850 अंकों के साथ तीसरे पायदान पर रहीं। रियो ओलम्पिक के बाद दीपा चोट और फिर सर्जरी के कारण दो साल तक मैदान से बाहर रहीं।
उन्हें गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में वापसी की उम्मीद थी, लेकिन वे तब तक फिट नहीं हो पाईं। दीपा को अगस्त में जकार्ता में होने वाले एशियाई खेलों के लिए 10 सदस्यीय भारतीय जिम्नास्टिक्स टीम में शामिल किया गया है।
मोदी ने दी बधाई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टार जिम्नास्ट दीपा करमाकर को तुर्की में एफआईजी कलात्मक वर्ल्ड चैलेंज कप की वाल्ट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा कि भारत को दीपा करमाकर पर गर्व है।
तुर्की के मर्सिन में एफआईजी वर्ल्ड चैलेंज कप में वाल्ट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने पर उन्हें बधाई। यह जीत उनकी हार नहीं मानने के रवैए और दृढ़ता का शानदार उदाहरण है। खेलमंत्री राज्यवर्धनसिंह राठौड़ ने भी दीपा की तारीफ करते हुए कहा कि उसने चोट के बाद वापसी करते हुए धमाकेदार वापसी की है।
उन्होंने ट्वीट किया कि दीपा करमाकर एक दमदार चैंपियन हैं। पिछले दो साल से चोट से जूझने के बाद उसने वापसी करते हुए तुकी में जिम्नास्टिक्स वर्ल्ड चैलेंज कप में अपना पहला पदक जीता। देश को गौरवान्वित करने के लिए उसे बधाई।