कृपाशंकर बिश्नोई (अर्जुन अवॉर्डी)
नई दिल्ली। सीनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप का सबसे बड़ा मुकाबला आज दिल्ली के इंदिरा गांधी इनडोर खाशाबा जाधव खेल परिसर में देखने को मिलेगा, जहां 60 किलोग्राम महिला कुश्ती के फाइनल मुकाबले में भारत की साक्षी मालिक और जापान की ओलम्पिक चैंपियनशिप रिसाको कवाई आपने सामने होंगी।
जापान की रिसाको कवाई 2016 रियो ओलम्पिक में स्वर्ण व 2 बार वार्ड कप और 2 बार एशिया चैंपियनशिप जीत चुकी है। जापान की इस महिला पहलवान ने भारत की स्टार महिला पहलवान बबीता फोगाट को वर्ष 2012 विश्व प्रतियोगिता कनाडा में हराया, वहीं राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता भारत की पूजा ढांडा को वर्ष 2014 एशियाई चैंपियनशिप के दौरान बहुत ही नजदीकी अंतर से पराजित हो गई थीं।
हालांकि फिर पूजा ढांडा को वहा कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। अगर साक्षी मलिक जापान की रिसाको कवाई को मात देती है तो वह बबिता और पूजा का बदला लेने में कामयाब हो जाएंगी और साथ ही साथ एशिया चैंपियनशिप का स्वर्ण जीतकर ऐसा रिकार्ड स्थापित कर देंगी, जो आज तक किसी भारतीय महिला पहलवान ने नहीं किया।
सबसे ज्यादा उम्मीद विनेश फोगाट से लगाईं जा रही है। कुश्ती विशेषज्ञ मानते है की विनेश स्वर्ण पदक जीतेगी और यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनेगी। उनके सामने फाइनल में जापानी की साए नान्जो हैं। साए नान्जो ने वर्ष 2016 सब जूनियर एशिया चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था।
जापानी पहलवान से विनेश ज्यादा अनुभवी है। ऐसे में लगता नहीं की जापानी पहलवान विनेश के आगे टिक पाएंगी। बस देखना है की घुटने की चोट से उबरने के बाद विनेश कितना बेहतर करती है।
उम्मीद दिव्या सेन से भी है। हालाकि उनके सामने रियो ओलम्पिक की स्वर्ण पदक विजेता जापान की सारा डोषो है। दिव्या से भी कमाल के प्रदशन करने की उम्मीद की जा रही है।