20 साल बाद भारतीय महिला हॉकी टीम ने एशियाड में जीता रजत पदक, फाइनल में जापान ने 2-1 से हराया

Webdunia
शुक्रवार, 31 अगस्त 2018 (21:21 IST)
जकार्ता। भारतीय महिला हॉकी टीम का एशियाई खेलों में 36 साल बाद स्वर्ण पदक जीतने का सपना अधूरा ही रह गया और उसे शुक्रवार को यहां फाइनल में जापान से 1-2 से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा। 1998 के बैंकॉक एशियाड के फाइनल में भी भारतीय टीम कोरिया के हाथों भी 1-2 से परास्त हो गई थी। शुक्रवार को यदि भारतीय टीम स्वर्ण पदक जीतती तो 2020 के टोकियो ओलंपिक में खेलने की पात्रता हासिल कर लेती।
 
 
भारतीय हॉकी के लिए यह एक और करारा झटका था, क्योंकि गुरुवार को पुरुष टीम सेमीफाइनल में पेनल्टी शूटआउट के जरिए मलेशिया से हार गई थी। भारतीय महिला टीम खिताब की प्रबल दावेदार थी, क्योंकि वह विश्व रैंकिंग में जापान से 5 पायदान ऊपर थी।
 
भारत को गोल करने के कई मौके मिले लेकिन खिलाड़ी इन मौकों को भुना नहीं सकीं। जापान की तरफ से दोनों पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदला गया। महिला हॉकी टीम के रजत पदक जीतने पर खेलमंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने ट्‍वीट करके उसे बधाई दी है।
पहले क्वार्टर में 5 शॉट बेकार गए : फाइनल मैच के पहले क्वार्टर में भारतीय टीम हावी रही और उसे गोल करने के 5 शॉट मिले, जो बेकार चले गए। यही नहीं, 10वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर कप्तान रानी रामपाल उसे गोल में नहीं बदल पाईं।
 
जापान ने बढ़त का गोल दागा : खेल प्रारंभ होने के 11वें मिनट में जापान की मिनामी शिमिजु ने पहले ही पेनल्टी कॉर्नर पर भारतीय गोलकीपर सविता पुनिया को छकाते हुए बढ़त का गोल दाग दिया। 1 गोल से पिछड़ने के बावजूद भारतीय लड़कियों ने तूफानी हमले जारी रखे।
भारत की नेहा गोयल ने दागा बराबरी का गोल : लगातार हमलों का प्रतिफल भारत को 25वें मिनट पर मिला। नवनीत कौर का रिवर्स हिट पास जापान के गोल मुहाने पर पहुंचा, जहां पर नेहा गोयल ने छलांग लगाते हुए उसे डिफ्लेक्ट कर गोल में बदलकर स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया।
 
जापान ने गोल में बदला दूसरा पेनल्टी कॉर्नर : खेल के 44वें मिनट पर जापान को दूसरा पेनल्टी कॉर्नर मिला। इस कॉर्नर को जापान की कप्तान मातोमी कवामुरा ने गोल में बदलकर एक बार फिर अपनी टीम को 2-1 से आगे कर दिया।
 
चौथे क्वार्टर में जापान का अच्छा डिफेंस : खेल के चौथे क्वार्टर में भारतीय खिलाड़ियों ने बराबरी हासिल करने के कई जतन किए लेकिन जापान की डिफेंस ने अच्छा बचाव करते हुए मैच जीतकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस तरह 1982 में एशियाई खेलों में पहली बार महिला हॉकी को शामिल करने के बाद स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम 36 साल बाद इतिहास को दोहराने में नाकाम रही।

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