पढ़ाई से बचने के लिए भागने की आदत ने सुधा को बनाया एथलीट

Webdunia
मंगलवार, 28 अगस्त 2018 (23:05 IST)
अमेठी। इंडोनेशिया में चल रहे 18वें एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव की एथलीट सुधा सिंह ने कहा है कि पढ़ाई से बचकर भागने की आदत ने उन्हें एथलीट बना दिया।
        
महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेज़ स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली सुधा ने मंगलवार को यहां टेलीफोन पर बातचीत में कहा, 'मैं तो सबको पीछे करने का लक्ष्य लेकर दौड़ती हूं। मैडल मिलेगा या नहीं, इस बात पर ध्यान नहीं रहता है।' 
 
उन्होंने कहा कि बचपन से ही उनका मन पढ़ाई से ज्यादा खेलों में लगता था। गांव में बच्चों से रेस लगाना, पत्थर फेंकना, पेड़ों से कूदना उन्हें पसंद था। इस आदत से कभी-कभी तो घर में सब परेशान हो जाते थे, फिर भी वे उन्हें खेलों में बढ़ावा देते थे। 
      
उन्होंने कहा, 'मुझे अपने देश के लिए दौड़ना अच्छा लगता है। खासतौर पर जब देश के बाहर बुलाया जाता है 'सुधा सिंह फ्रॉम इंडिया', यह सुनाई पड़ने से लगता है कि मैं वाकई स्पेशल हूं। बस, यही सुनने के लिए बार-बार खेलने का मन करता है। मेरा परिवार बहुत बड़ा है। हम चार भाई-बहन हैं। घर में सभी मुझे टीवी पर देखकर खुश होते हैं।'
 
सुधा ने कहा, 'मेरी ख्वाहिश यूपी के बच्चों को ट्रेनिंग देने की है। इसके लिए मैंने कोशिश भी की है, लेकिन इसके लिए कि‍सी और विभाग में नौकरी करने के लिए मुझे यूपी आना पड़ेगा। कई बार वन विभाग और अन्य जगहों से कॉल आई, लेकिन मैंने मना कर दिया। मुझे सिर्फ खेल विभाग में ही आना है, जिससे बच्चों को सही दिशा दिखा सकूं।' उन्होंने कहा कि उन्हें अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उम्मीद है।  
 
सुधा ने बताया कि बेसिक पढ़ाई तो सभी को करनी होती है, इसलिए उन्हें मजबूर किया जाता था। वह कहती हैं कि ट्यूशन पढ़ने न जाना पड़े, इसलिए दस मिनट पहले ही दौड़ने निकल जाती थीं। पढ़ाई से बचने के लिए भागने की आदत ने कब उन्हें एथलीट बना दिया, मालूम ही नहीं चला।
     
कल हुई स्पर्धा से पूर्व यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने उन्हें शुभकामना संदेश भी भेजा था। इससे पूर्व 2016 में रियो ओलंपिक में सुधा ने 3000 मीटर स्टीपलचेज़ दौड़ में हिस्सा लेकर देश का नाम रोशन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर सुधा को पुरस्कृत भी किया था। सुधा ने वर्ष 2003 से अब तक देश के लिए अनेक पदक जीते हैं।
     
अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का नाम रोशन करने वाली सुधा रायबरेली जिला मुख्यालय से 114 किलोमीटर दूर भीमी गांव में एक मध्यम वर्ग के परिवार की बेटी है। उसने इससे पूर्व 2010 के ग्वांग्झू एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता और फिर शिकागो में नेशनल एथलेटिक चैंपियनशिप में अपना दबदबा कायम रखा। सुधा को रियो ओलंपिक में खेलने का भी मौका मिला, लेकिन वहां जाकर उन्हें स्वाइन फ्लू हो गया, इस कारण उन्हें भारत वापस लौटना पड़ा।
     
बचपन से ही खेल की शौकीन रही सुधा ने अपनी शिक्षा रायबरेली जिले के दयानंद गर्ल्स इंटर कॉलेज से पूरी की। उसने वर्ष 2003 में लखनऊ के स्पोर्ट्स कॉलेज से भी प्रशिक्षण लिया।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

INDvsNZ सीरीज के बाद इन 4 में से 2 सीनियर खिलाड़ियों हमेशा के लिए होंगे ड्रॉप

पहले 68 साल में सिर्फ 2 टेस्ट तो भारत में इस सीरीज के 10 दिनों में 3 टेस्ट मैच जीती न्यूजीलैंड

IPL को रणजी के ऊपर तरजीह देने के कारण ROKO हुए बर्बाद, सचिन गांगुली नहीं करते ऐसी गलती

श्रीलंका और भारत में टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद गंभीर पर उठ रहे सवाल

टेस्ट इतिहास का सबसे अनचाहा रिकॉर्ड बनने पर रोहित शर्मा बोले यह सबसे खराब दौर

सभी देखें

नवीनतम

भारतीय क्रिकेट टीम जाएगी पाकिस्तान, खेल मंत्रालय से मिली अनुमति

IND vs SA 3rd T20 : बारिश के साथ इन युवा चेहरों पर रहेगी नजर जिन्हें मिल सकता है डेब्यू का मौका

ससुराल में लुट लिए गए वसीम अकरम, 55 हजार में कटवाए बिल्ली के बाल [Video Viral]

'न्यूजीलैंड के खिलाफ सबसे कमजोर कड़ी मैं रहा', अश्विन ने कबूला (Video)

चैंपियन्स ट्रॉफी 2025 के बाद वनडे क्रिकेट से संन्यास लेंगे मोहम्मद नबी (Video)

अगला लेख
More