जकार्ता। भारतीय मुक्केबाज़ 22 साल के अमित पंघल ने 18वें एशियाई खेलों में शनिवार को पुरुषों के 49 किग्रा लाइटफ्लाई भार वर्ग में स्वर्ण पदक दिलाकर इतिहास रच दिया। यह इन खेलों में भारत का 14वां और मुक्केबाजी में पहला स्वर्ण है।
हरियाणा के युवा मुक्केबाज़ ने ओलंपिक चैंपियन उज्बेकिस्तान के हसनब्वॉय दुस्मातोव को कड़े मुकाबले में 3-2 से पराजित करते हुए अपने करियर की सबसे बड़ी बाउट जीत अपने नाम कर ली। 18वें एशियाई खेलों में यह मुक्केबाजी में भारत का दूसरा पदक है। इससे पहले विकास कृष्णन ने 75 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था।
भारत ने इन खेलों में 10 मुक्केबाजों को उतारा था जिनमें से सिर्फ अमित ही फाइनल में पहुंचे और देश को स्वर्ण पदक भी दिलाया। भारत ने पिछले एशियाई खेलों में मुक्केबाजी में एक स्वर्ण और चार कांस्य सहित पांच पदक जीते थे।
सेना में नायब सूबेदार के पद पर कार्यरत अमित के लिए फाइनल मुकाबला बहुत ही चुनौतीपूर्ण माना जा रहा था जहां उनके सामने ओलंपिक चैंपियन हसनब्वॉय थे लेकिन भारतीय खिलाड़ी ने शुरूआत से ही अपनी रक्षात्मक शैली से उलट आक्रामकता के साथ खेला जबकि उज्बेक पहलवान पहले राउंड में केवल रक्षात्मक खेलते रहे।
अमित ने दूसरे राउंड में लगातार तीन पंच लगाकर अंक बटोरे। उन्होंने 25 वर्षीय विपक्षी मुक्केबाज़ के सिर के पीछे भी पंच जड़े, हालांकि इससे उन्हें अंक नहीं मिले लेकिन हसनब्वॉय इससे कमजोर जरूर पड़े। उज्बेक मुक्केबाज़ ने भी वापसी करते हुए अच्छे पंच जड़े। हालांकि भारतीय खिलाड़ी का पलड़ा दो राउंड के बाद भारी ही रहा।
तीसरा राउंड और भी रोमांचक रहा जिसमें अमित ने आक्रामकता दिखाने के साथ काफी बचाव भी किया और बाईं एवं दाईं ओर से हुक्स लगाए। उन्होंने हसनब्वॉय के सामने अपनी लंबी कदकाठी का भी फायदा उठाया और आखिरी 15 सेकंड में उज्बेक मुक्केबाज़ के चेहरे में लगातार पंच जड़े। पांचों जजों ने हालांकि विभाजित फैसला सुनाया लेकिन अमित ने 28-29, 29-28, 29-28, 28-29, 30-27 से बाउट और स्वर्ण पदक जीत लिया।
रोहतक में जन्मे अमित ने 2008 में मुक्केबाजी शुरू की थी। उन्होंने इस साल गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक हासिल किया था जबकि इसी साल बुल्गारिया के सोफिया में हुए स्ट्रैंडजा मैमोरियल टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता था। भारतीय सेना ने 2017 में अमित को महार रेजीमेंट में नियुक्त किया था। (वार्ता)