जर्मनी के कोच जोआकिम लोउ ने टीम की खिताबी जीत के बाद इसका खुलासा किया। लोउ ने 2006 के विश्व कप में जर्मनी के तीसरे स्थान पर रहने के बाद जुर्गेन क्लिंसमान से यह जिम्मेदारी संभाली थी।
हालांकि लोउ ने कहा कि चौथी बार विश्व कप पर कब्जा जमाने में समय लगा। 54 वर्षीय कोच ने कहा यह तैयारी लगभग 10 साल पहले शुरू हो गई थी और इसे तब से लगातार लागू रखा गया है। इस तैयारी से हमें टीम में निरन्तर सुधार करने में सहायता मिली और आज यही तैयारी टीम की सबसे बड़ी ताकत बन गई है।
जर्मनी पिछले दो विश्व कप और यूरोपीय चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचा था। साल 2000 और 2004 में यह टीम यूरो कप के शुरुआती दौर से आगे नहीं बढ़ नहीं सकी थी। लोउ ने कहा हमें सिर्फ एक कदम और आगे बढ़ना था और हमने आज यह कर दिखाया।
देश की फुटबॉल टीम को मजबूत करने की तैयारी के लिए वहां खेल युवा केंद्रों की स्थापना की गई। इन केंद्रों से कई खिलाड़ी टीम में पहुंचे हैं। अर्जेन्टीना के खिलाफ फाइनल मैच के अतिरिक्त समय में गोल करने वाले 22 वर्षीय खिलाड़ी मारियो गोएट्जे भी ऐसे ही एक केंद्र से प्रशिक्षित खिलाड़ी हैं।
कोच ने बताया कई बार हम निराश हो जाते थे लेकिन आज इसे पीछे छोड़ हमारी टीम विजेता बन गई है। यह विशेष क्षण हमारी 10 वर्ष की तैयारी का परिणाम है। उन्होंने कहा, इस लम्बे समय तक जर्मनी के खिलाडियों ने कड़ा अभ्यास किया, इसलिए नहीं की ऐसा करने के लिए उनके कोच ने कहा था बल्कि इसलिए क्योंकि कड़ा परिश्रम और अंत तक हार न मानने का गुण जर्मनी की जातीय विशेषता है।
लोउ ने कहा, 2000 और 2004 में जर्मन फुटबॉल का स्तर काफी नीचा था लेकिन हमने प्रशिक्षण में सुधार करते हुए टीम को तकनीकी स्तर पर बेहतर बनाया। जर्मन टीम का प्रशिक्षण काफी नहीं था तथा हमें अपने कौशल में और सुधार करना था। (भाषा)