Grahan 2023: इस माह सूर्य और चंद्र ग्रहण, भूकंप, तूफान और राजनीतिक उथल-पुथल के महायोग

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Lunar and solar eclipse 2023: इस माह यानी अक्टूबर में 2 ग्रहण होने वाले हैं। पहले सूर्य ग्रहण होगा और फिर चंद्र ग्रहण। जब भी दो ग्रहर बहुत कम दिनों के अंतराल में होते हैं तो धरती पर भूकंप, आपदा के साथ ही राजनीतिक उथल पुथल भी शुरु हो जाती है। इससे देश और दुनिया में घटना दुर्घटनाएं बढ़ जाती है। 2 ग्रहणों का एक साथ एक ही माह में लगना शुभ नहीं माना जाता है।
 
सूर्य ग्रहण 2023 | October 14 solar eclipse 2023:
 
सूर्य ग्रहण का प्रभाव | effect of solar eclipse:
 
चंद्र ग्रहण 2023 | October 28 Lunar eclipse 2023:
  1. 5 मई 2023 शुक्रवार के दिन पहला उपछाया चंद्र ग्रहण था। भारत में कुछ हिस्सों में आंशिक रूप से दिखाई दिया था। 
  2. इसके बाद 28-29 अक्टूबर 2023 के दरमियान वर्ष का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण होगा।
  3. यह ग्रहण रात्रि 01:06 पर लगेगा जो खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा। यह ग्रहण रात्रि 02:22 पर बजे समाप्त होगा। (28 तारीख की रात्र‍ि यानी 01:06 एएम से 02:22 एएम तक)।
चंद्र ग्रहण का प्रभाव | effect of Lunar eclipse:
  1. चंद्र ग्रहण का प्रभाव मानव मन पर भी पड़ता है।
  2. चंद्र ग्रहण से समुद्र एवं समुद्री क्षेत्र पर असर पड़ता है।
  3. समुद्र के जल के भीतर भी भूकंप आते हैं।
  4. समुद्र में सुनामी और चक्रावत तूफान आने की संभावना बढ़ जाती है।
  5. चंद्र ग्रहण के दौरान समुद्री आपदाएं यानि पानी से संबंधित आपदाएं अधिक आती हैं। 
  6. चंद्र ग्रहण से मानव के मन और जल तत्व पर प्रभाव पड़ता है। इससे बैचेनी और मानसिक रोग बढ़ जाते हैं।
  7. दोनों ही ग्रहर करीब होने से इस बाद देश और दुनिया की मानसिक बैचेनी बढ़ने के साथ ही प्राकृतिक आपदाएं भी बढ़ जाएगी।
 
ग्रहण का सूतक काल कब लगेगा?
चंद्र ग्रहण का सूतक काल :- 28 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 15 मिनट पर प्रारंभ होगा।
सूतक समाप्त समाप्त:- 29 अक्टूबर को 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा।
सूर्य ग्रहण का सूतक काल सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
चंद्र ग्रहण का सूतककाल ग्रहण के 9 घंटे पूर्व प्रारंभ होता है।
 
40 दिनों के अंतराल में भूकंप : जब भी कोई ग्रहण पड़ता है या आने वाला रहता है तो उस ग्रहण के 40 दिन पूर्व तथा 40 दिन बाद अर्थात उक्त ग्रहण के 80 दिन के अंतराल में भूकंप कभी भी आ सकता है। कभी कभी यह दिन कम होते हैं अर्थात ग्रहण के 15 दिन पूर्व या 15 दिन पश्चात भूकंप आ जाता है।
 
कैसे असर डालते हैं ग्रहण : ग्रहण के कारण वायुवेग बदल जाता है, धरती पर तूफान, आंधी का प्राभाव बढ़ जाता है। समुद्र में जल की गति भी बदल जाती है। ऐसे में धरती की भीतरी प्लेटों पर भी दबाव बढ़ता है और और आपस में टकराती है। वराह मिहिर के अनुसार भूकंप आने के कई कारण है जिसमें से एक वायुवेग तथा पृथ्वी के धरातल का आपस में टकराना है।
 

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