हिरण बना संत, देखने उमड़ी भक्तों की भीड़ (वीडियो)

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उज्जैन में सदी का दूसरा सिंहस्थ शुरू हो गया है। यहां बाबाओं के अनोखे अंदाज देखकर भक्तों का जनसैलाब दंग है। एक ऐसे भी बाबा हैं जिनका एक शिष्य कोई इंसान नहीं, बल्कि एक हिरण है। बाबा के इस भक्त को देखने के लिए हर रोज लोगों की भारी भीड़ जुट रही है। आस्था का ऐसा रंग देखकर लोग हैरान हैं।
दरअसल, महाराष्ट्र के शूलबंजर गांव के घने जंगलों में अपनी मां से बिछड़ा 7 दिन का यह हिरण अब संन्यासियों के साथ संन्यासी जैसा जीवन बिता रहा है। संतों ने इसका नाम संतोषगिरि रख दिया है। 
 
जूना अखाड़े की 13 मढ़ी के महंत महेंद्रगिरि महाराज के शिष्य महंत नीलगिरि ने इसका नाम पहले चंद्रसेन रखा था, लेकिन बाद में गुरु ने इसे गिरि की उपाधि देते हुए संतोषगिरि नाम रख दिया।

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साधु-संतों की संगत में रहकर साधुओं ने इसका नाम रख दिया महंत संतोष। यह रोज 1 किलो किशमिश खाता है, नमकिन बिस्कुट खाता है और जो भी संत खलाएं वह खाता है। खास बात यह कि यह हिरण मराठी भाषा समझता है। मराठी इसलिए समझता है कि आश्रम के सभी संत महाराष्ट्र से हैं और मराठी बोलते हैं।
 
संतों के अलावा इस हिरण को कोई दूसरा छू नहीं सकता। यदि कोई दूसरा इसे छूने का प्रयास करता है तो यह उसे मारने दौड़ता है। इस हिरण को लेखने के लिए सिंहस्थ में आए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है।

स्टोरी : अनिरुद्ध जोशी
कैमरामेन : धर्मेंद्र सांगले
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