सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश पर्व 2 जनवरी को

Webdunia
गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु हैं। इतिहास में गुरु गोविंदसिंह एक विलक्षण क्रांतिकारी संत व्यक्तित्व है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार गुरु गोविंद सिंह का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को 1666 ई. विक्रम संवत को हुआ था। अत: इस दिन गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। 
 
गुरु गोविंद सिंह एक महान कर्मप्रणेता, अद्वितीय धर्मरक्षक, ओजस्वी वीर रस के कवि के साथ ही संघर्षशील वीर योद्धा भी थे। उनमें भक्ति और शक्ति, ज्ञान और वैराग्य, मानव समाज का उत्थान और धर्म और राष्ट्र के नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग एवं बलिदान की मानसिकता से ओत-प्रोत अटूट निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प की अद्भुत प्रधानता थी तभी स्वामी विवेकानंद ने गुरुजी के त्याग एवं बलिदान का विश्लेषण करने के पश्चात कहा है कि ऐसे ही व्यक्तित्व के आदर्श सदैव हमारे सामने रहना चाहिए।  
 
गुरु नानक देव की ज्योति इनमें प्रकाशित हुई, इसलिए इन्हें दसवीं ज्योति भी कहा जाता है। बिहार राज्य की राजधानी पटना में गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म हुआ था। सिख धर्म के नौवें गुरु तेग बहादुर साहब की इकलौती संतान के रूप में जन्मे गोविंद सिंह की माता का नाम गुजरी था।
 
श्री गुरु तेग बहादुर सिंह ने गुरु गद्दी पर बैठने के पश्चात आनंदपुर में एक नए नगर का निर्माण किया और उसके बाद वे भारत की यात्रा पर निकल पड़े। जिस तरह गुरु नानक देव ने सारे देश का भ्रमण किया था, उसी तरह गुरु तेग बहादुर को भी आसाम जाना पड़ा। 
 
इस दौरान उन्होंने जगह-जगह सिख संगत स्थापित कर दी। गुरु तेग बहादुर जी जब अमृतसर से आठ सौ किलोमीटर दूर गंगा नदी के तट पर बसे शहर पटना पहुंचे तो सिख संगत ने अपना अथाह प्यार प्रकट करते हुए उनसे विनती की कि वे लंबे समय तक पटना में रहें। ऐसे समय में नवम् गुरु अपने परिवार को वहीं छोड़कर बंगाल होते हुए आसाम की ओर चले गए।
 
पटना में वे अपनी माता नानकी, पत्नी गुजरी तथा कृपालचंद अपने साले साहब को छोड़ गए थे। पटना की संगत ने गुरु परिवार को रहने के लिए एक सुंदर भवन का निर्माण करवाया, जहां गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ। तब गुरु तेग बहादुर को आसाम सूचना भेजकर पुत्र प्राप्ति की बधाई दी गई।
 
पंजाब में जब गुरु तेग बहादुर के घर सुंदर और स्वस्थ बालक के जन्म की सूचना पहुंची तो सिख संगत ने उनके अगवानी की बहुत खुशी मनाई। उस समय करनाल के पास ही सिआणा गांव में एक मुसलमान संत फकीर भीखण शाह रहता था। उसने ईश्वर की इतनी भक्ति और निष्काम तपस्या की थी कि वह स्वयं परमात्मा का रूप लगने लगा।
 
पटना में जब गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ उस समय भीखण शाह अपने गांव में समाधि में लिप्त बैठे थे। उसी अवस्था में उन्हें प्रकाश की एक नई किरण दिखाई दी जिसमें उसने एक नवजात जन्मे बालक का प्रतिबिंब भी देखा। भीखण शाह को यह समझते देर नहीं लगी कि दुनिया में कोई ईश्वर के प्रिय पीर का अवतरण हुआ है। यह और कोई नहीं गुरु गोविंद सिंह जी ही ईश्वर के अवतार थे।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का महत्व, इस दिन क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए?

क्या आप नहीं कर पाते अपने गुस्से पर काबू, ये रत्न धारण करने से मिलेगा चिंता और तनाव से छुटकारा

Solar eclipse 2025:वर्ष 2025 में कब लगेगा सूर्य ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा और कहां नहीं

सभी देखें

धर्म संसार

26 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

2025 predictions: बाबा वेंगा की 3 डराने वाली भविष्यवाणी हो रही है वायरल

26 नवंबर 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

परीक्षा में सफलता के लिए स्टडी का चयन करते समय इन टिप्स का रखें ध्यान

Education horoscope 2025: वर्ष 2025 में कैसी रहेगी छात्रों की पढ़ाई, जानिए 12 राशियों का वार्षिक राशिफल

More