भगवान श्रीकृष्ण के कारण हजारों लोगों ने ज्ञान प्राप्त किया था। ज्ञान प्राप्त करने का अर्थ है मोक्ष के मार्ग के दर्शन करना और उसी पर चल पड़ना। हालांकि ऐसे में कई लोग थे जो श्रीकृष्ण के पास होते हुए भी कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाए क्योंकि श्रीकृष्ण और उन लोगों के बीच अहंकार या स्वयं ज्ञानी होने की दीवार थी। आओ जानते हैं कि श्रीकृष्ण के कारण कौन लोग मोक्ष प्राप्त कर गए।
मोक्ष प्राप्त करना अर्था कैवल्य ज्ञान, संबोधि प्राप्त करना होता है। मुक्ति और मोक्ष में फर्क होता है। यहां उन लोगों की बात नहीं जिनका श्रीकृष्ण ने उद्धार किया था या जो पिछले जन्म में देवलोक में थे। जैसे भीष्म पितामह देवलोक के एक वसु थे। विदुर स्वयं ही धर्मराज के अंश थे।
1. अष्ट सखियां : श्रीराधा रानी तो स्वयं संबुद्ध अर्थात मोक्ष प्राप्त कर चुकी महिला थीं। परंतु उनकी अष्ट सखियों ने ही श्रीकृष्ण और राधा के संग रहकर मोक्ष प्राप्त किया था। हालांकि कहते हैं कि ललिता नाम की सखी इससे चूक गई थी और तब उसने कई जन्मों के बाद मीरा या स्वामी हरिदास के रूप में जन्म लेकर मोक्ष प्राप्त किया था।
2. उद्धव : उद्धव श्रीकृष्ण के चाचा देवभाग के लड़के थे जो आयु में श्रीकृष्ण से थोड़े बड़े थे। उनका असली नाम बृहदबल था। उनके पिता का नाम 'उपंग' कहा गया। बाल्यकाल में ही उन्हें देवताओं के गुरु बृहस्पति ने अपना शिष्य बना लिया था। देवगुरु बृहस्पति से उन्हें ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हुई और वे निरंतर प्रभु के निराकार और निर्गुण रूप की उपासना करते रहते थे। वे खुद को ब्रह्मज्ञानी समझते थे। श्रीकृष्ण और राधा के सत्य जानकर ज्ञान से प्रेम मार्ग बन गए थे। इसके बाद श्रीकृष्ण ने उद्धव को योग मार्ग का उपदेश दिया। यह उपदेश उद्धव गीता या अवधूत गीतार्ध के नाम से प्रसिद्ध है। कृष्ण के इच्छा से उद्धव बदरिकाश्रम चले गए और वहीं तपस्या करते हुए उन्होंने अपनी देह त्याग दी थी।
3. सुदामा : सुदामा श्रीकृष्ण के मित्र थे और वे उनके परम भक्त भी थे, क्योंकि सुदामा जान गए थे कि श्रीकृष्ण कोई और नहीं स्वयं भगवान विष्णु है। सुदामा की भक्ति के कारण सुदामा मोक्ष प्राप्त कर गए थे।
4. अन्य लोग : भगवान श्रीकृष्ण के भक्ति के कालांतर में हजारों लोगों के मोक्ष प्राप्त किया। सुदामा से लेकर सुरदास तक उनके भक्तों की अनंत सूची है।