श्रावण मास में मंत्र जाप और पूजा में विधानों का महत्व है। जब मंत्र जाप या पूजा करते हैं तो उससे पहले विधान होता है भूमि शुद्धिकरण का। फिर बारी आती है स्नान की। आचमन, आसन, तिलक, संकल्प, शिखा बंधन, प्राणायाम, न्यास आदि यह सब एक के बाद एक किए जाते हैं? जानिए पूजा विधि, मंत्र और पूजन मुहूर्त
1. स्नान : प्रात:काल स्नान करने से मनुष्य शुद्ध होकर जप, पूजा-पाठ इत्यादि सभी कार्यों को करने योग्य हो जाता है। दक्ष स्मृति में कहा गया है...
अत्यन्तमलिन: कायो, नवच्छिद्रसमन्यित:।
स्रवत्येष दिवारात्रौ, प्रात: स्नानं विशोधनम।।
अर्थात 9 छिद्रों वाले अत्यंत मलिन शरीर से दिन-रात गंदगी निकलती रहती है इसलिए नित्य प्रात:काल स्नान करने से दिनभर की अशुद्धि निकल जाती है। आप जिस जल से स्नान करें, उसमें इन 7 नदियों का आह्वान कीजिए और भावना कीजिए कि इन सातों पवित्र नदियों के जल से आप स्नान कर रहे हैं...।
मंत्र- गङ्गा च यमुना चैव, गोदावरि सरस्वती।।
नर्मदा सिंधु कावेरी, जलेस्मिन सन्निधि कुरु।।
विशेष : इस मंत्र से इन सातों नदियों के स्नान का फल तो मिलता ही है, राष्ट्रीय भावना भी पुष्ट होती है।
2. भूमि शुद्धिकरण : जिस स्थान पर बैठकर जप करना है, वह स्थान यदि पक्का है तो पहले से ही धो लें और यदि कच्चा है तो गाय के गोबर से लीप लें। एक बार का लीपा कच्चा स्थान 4-5 दिन काम देगा। पक्का स्थान नित्य पोछें या धोएं।
लाभ- इससे बैठने का स्थान कीटाणुरहित होकर शुद्ध हो जाता है।
3. आसन : कुश, कंबल, मृग चर्म, रेशम व व्याघ्र चर्म का आसन जप के लिए शुद्ध बताया गया है। इससे मन की एकाग्रता आती है। पुत्रवान गृहस्थों के लिए मृग चर्म का उपयोग निषिद्ध है।
'मृगचर्म प्रयत्नेन, वर्जयेत पु त्रवान गृही।'
4. शिखा बंधन : चोटी में गांठ लगाना। सिर में चोटी के नीचे सहस्रार चक्र होता है। चोटी में गांठ लगाने से सहस्रार चक्र नियंत्रित होता है।
5. आचमन : मंत्र सहित आचमन से शरीर के अंदर की शुद्धि होती है।
6. तिलक या त्रिपुंड : मस्तक में तिलक या त्रिपुंड मंत्र सहित लगाना चाहिए। इससे मस्तिष्क का शुद्धिकरण होता है।
तिलक मंत्र :
आदित्य वसवोरुदा मरुद गणा।।
तिलकं ते प्रयच्छन्तु, धर्मकार्थ-सिद्धये।।
त्रिपुंड एवं भस्म मंत्र :
मा नस्तोके तनये मा नायुषि
मा नो गोपु मा नोअश्वेषु रिरीप:।
मा नो वीरान रूद्र भामिनो
वधीर्हविष्मन्तः सदमित त्वा हवामहे।।
7. प्राणायाम : इस क्रिया का लाभ सर्वविदित है। यह प्राणवायु का व्यायाम है। मंत्र जप करने पर प्राणवायु का प्रवाह मंत्र की ओर हो जाता है जिससे मंत्र सफलता सुनिश्चित होती है।
8. संकल्प : एक निश्चित प्रतिज्ञा होती है। प्रतिज्ञा करके मन नियंत्रित होता है कि उसे इतना जप करना ही है।
9. न्यास : न्यास का अर्थ है रखना या स्थापित करना। इस क्रिया में मंत्रों को शरीर के उन-उन अंगों पर स्थापित किया जाता है। इससे शरीर मंत्रमय हो जाता है।
10. बिना गुरु मुख का मंत्र जप फलीभूत नहीं होता। अत: आप जो मंत्र अपनी किसी कामना पूर्ति के लिए जपना चाहते हैं वह मंत्र उससे लें जिसे गुरु बनाना है। यदि आपको कोई मनचाहा गुरु नहीं मिल रहा तो भगवान शिव को गुरु मानकर उनकी ओर से गुरु मंत्र ग्रहण कर लें।
किस मंत्र का करें जाप-
'ॐ नम: शिवाय' एवं 'महामृत्युंजय' मंत्र के अतिरिक्त चंद्र बीज मंत्र 'ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:' और चंद्र मूल मंत्र 'ॐ चं चन्द्रमसे नम:'।
शिव गायत्री मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
श्रावण मास के विशेष पूजन मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे :-
* श्रावण का 1 (पहला) सोमवार 22 जुलाई को पड़ेगा। संयोग से इस दिन मरुस्थलीय नागपंचमी है। इस दिन रुद्राभिषेक करने से नागदेव प्रसन्न रहते हैं और संतान सुख में बाधा नहीं आती है। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष या कालसर्प योग है, उन्हें इस पूजन से शांति मिलेगी।
* श्रावण का 2 (दूसरा) सोमवार 29 जुलाई को है। स्वास्थ्य की दृष्टि से किया गया अनुष्ठान विशेष शुभता प्रदान करने वाला रहेगा। इस दिन के रुद्राभिषेक से मानसिक अशांति, गृह क्लेश और स्वास्थ्य संबंधी चिंता दूर हो जाएगी। इस दिन सोम प्रदोष व्रत भी रहेगा।
* श्रावण का 3 (तीसरा) सोमवार अद्भुत मुहूर्त में आ रहा है जो कि 5 अगस्त 2019 को पड़ेगा। यह दिन श्रावण के श्रेष्ठ मुहूर्तों में एक है। इस दिन पूर्णा तिथि है, सोम का नक्षत्र हस्त भी विद्यमान है और सिद्धि योग के साथ-साथ नागपंचमी भी है।
* श्रावण का 4 (चौथा) और अंतिम सोमवार 12 अगस्त 2019 को आएगा। इस दिन शिव-पार्वती साथ-साथ पृथ्वी पर विचरण करेंगे। अत: इस दिन रुद्राभिषेक करने से सारे मनोरथ सफल होंगे। इस दिन भी सोम प्रदोष व्रत होने से यह दिन अतिशुभ रहेगा।
* श्रावण मास में ही 1 अगस्त 2019 को गुरु पुष्य योग बन रहा है, जिसका समय दोपहर 12:12 मिनट तक रहेगा। अत: जन्म कुंडली के ग्रह दोषों को दूर करने के लिए यह मुहूर्त अतिशुभ फलदायी रहेगा।
* सर्वार्थ सिद्धि योग के खास मुहूर्त :-
- श्रावण मास में 23 जुलाई को दोपहर 01:14 मिनट तक,
- 25 जुलाई को सायंकाल 05:39 मिनट तक,
- 29 जुलाई को सायं 06:22 मिनट तक,
- 01 अगस्त को दोपहर 12:12 मिनट तक,
- 04 अगस्त के सूर्योदय से लेकर 05 अगस्त के सूर्योदय तक,
- 08 अगस्त की रात्रि 09:28 मिनट से 09 अगस्त की रात्रि 09:58 मिनट तक,
- 11 अगस्त के सूर्योदय से लेकर मध्य रात्रि 12:45 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी है।
इस योग में किए गए सभी कार्य, जप-तप, पूजा-पाठ कभी निष्फल नहीं होते। अत: श्रावण मास में किया गया पूजन अति लाभदायी रहेगा।
* श्रावण मास में 30 जुलाई को मास शिवरात्रि है, अत: इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करके अभीष्ट सिद्धि की जा सकती है तथा मास शिवरात्रि की तिथि होने से इस दिन का महत्व अधिक बढ़ जाएगा।