श्रावण माह के बारे में मन में प्रश्न उपजते हैं।क्यों उपवास करते हैं? क्यों सभी शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं? क्यों जल चढ़ाते हैं? रुद्राभिषेक क्यों करते हैं?
आध्यात्मिक संतों द्वारा अलग-अलग तरीके से समझाया जाता रहा है।
विज्ञान, अध्यात्म एवं प्रायोगिक भाषा में इसे कुछ इस तरह समझा जा सकता है...
श्रावण मास क्यों मनाते हैं :
श्रावण मास प्रकृति से आज तक जो भी हमने हवा, हरियाली, जल आदि जो निशुल्क उपयोग किया है, इसकी कृतज्ञता प्रकट करने का माह है श्रावण मास।
वैज्ञानिक कारण :
वर्षों ऋतु का आगाज आषाढ़ माह से होने से श्रावण मास में उपजने वाला पत्ते और सब्जियां प्रथम वर्षा के जल से दूषित हो जाते हैं। हमारे ऋषियों ने इसको पहले ही जान लिया था। इसलिए पत्ते वाली सभी सब्जियां खाना वर्जित किया। इसलिए पूरे माह व्रत रखने का संदेश दिया गया, जो आज भी एक बड़ा वर्ग मानता है।
क्यों चढ़ाते शिवलिंग पर दूध : चूंकि प्रथम वर्षा ऋतु में उपजी सब्जियां, पत्ते वाली सब्जियों का सेवन गाय-भैंस के करने से निकलने वाला दूध भी दूषित होता है। अत: ऋषियों ने विष पीने वाले शिव पर सिर्फ श्रावण मास में दूध चढ़ाने का आदेश दिया।
पंचामृत क्या है
: 5 तत्व- दूध, दही, घी, शहद और शकर क्रमशः जल, वायु, अग्नि, आकाश और धरती तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनसे मानव शरीर बना है। वह तत्व रूपी पंचामृत देकर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हैं।
नाभि पर ब्रह्मा, छाती के मध्य भाग को विष्णु, मस्तक का मध्य भाग शिवजी का प्रतिनिधित्व करता है।
मुझको कहां ढूंढे रे बंदे में तो तेरे पास... की भावना के साथ श्रावण माह प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होकर मनाएं।