Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

सावन मास में क्यों मनाते हैं नाग मरुस्थले पंचमी?

हमें फॉलो करें Naag marusthal

WD Feature Desk

, मंगलवार, 23 जुलाई 2024 (17:27 IST)
Naag marusthal 2024: अब तक आपने सिर्फ नाग पंचम के त्योहार के बारे में ही सुना होगा लेकिन सावन माह में कृष्‍ण पक्ष की पंचमी को नाग मरुस्थले और शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। इसी दिन मौना पंचमी भी रहती है। इस बार यह पर्व 25 जुलाई 2024 गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।ALSO READ: श्रावण मास में नागपंचमी का त्योहार कब मनाया जाएगा, क्या हैं शुभ मुहूर्त?
 
नाग मरुस्थले का पर्व : मरुस्थलीय इलाके में नागपंचमी मनाए जाने को नाग मरुस्थले पंचमी कहते हैं। मरुस्थल का अर्थ रेगिस्तान होता है। श्रावण माह के कृष्‍णपक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों ही पंचमी पर नाग देव की पूजा की जाती है। अंग्रेजी माह के अनुसार इस बार कृष्ण पक्ष की पंचमी 25 जुलाई को रहेगी जिसे नाग मरुस्थले का पर्व कहते हैं।ALSO READ: नागपंचमी पर इन 12 नागों की होती है पूजा, जानें सबसे बड़ा कौन?
 
क्या करते हैं नाग मरुस्थले पर्व पर : नवविवाहताओं के लिए यह दिन विशेष माना गया है जबकि वे 15 दिन तक व्रत रखती हैं और हर दिन नाग देवता की पूजा करती हैं और कथा सुनती है। कथा श्रवण करने से सुहागन महिलाओं के जीवन में किसी तरह की बाधाएं नहीं आती हैं। नागों में वासुकि, तक्षक और शेषनाग की पूजा होती है। आओ जानते हैं कि यह पर्व क्यों और कहां मनाया जाता है।
 
कई क्षेत्रों में इस दिन आम के बीज, नींबू तथा अनार के साथ नीम के पत्ते चबाते हैं। मान्यता अनुसार ऐसा करने से ये पत्ते शरीर से जहर हटाने में काफी हद तक मदद करते हैं।ALSO READ: इस सावन मास में 11 प्रकार के अभिषेक से करें शिवजी को प्रसन्न, हर मनोकामना होगी पूर्ण
 
इस दिन भगवान शिव के साथी ही नागदेव की पूजा होती है। इस दिन शिवजी की दक्षिणामूर्ति स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन नाग की बांबी की पूजा की जाती है। इस दिन पंचामृत और जल से शिवाभिषेक का बहुत महत्व है। इस पूजा से मन, बुद्धि तथा ज्ञान में बढ़ोतरी होती है और रह क्षेत्र में सफलता मिलती है।

मौना पंचमी : मौना पंचमी का व्रत खासकर बिहार में नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है। व्रत रखकर पूरे दिन मौन रहते हैं। इसीलिए इसे मौना पंचमी कहते हैं। इस दिन भगवान शिव के साथी ही नागदेव की पूजा होती है।  झारखंड के देवघर के शिव मंदिर में इस दिन शर्वनी मेला लगता है, मंदिरों में भगवान शिव और शेषनाग की पूजा की जाती है। मौना पंचमी के दिन इन दोनों देवताओं का पूजन करने से काल का भय खत्म हो जाता है और हर तरह के संकट समाप्त हो जाते हैं।ALSO READ: Sawan somwar 2024: सावन के दूसरे सोमवार पर करें इस शुभ मुहूर्त में शिव पूजा, इस तरह जल चढ़ाने से खुल जाएंगे भाग्य

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Vastu tips: वास्तु के अनुसार तरक्की नहीं करते हैं इन 4 घरों में रहने वाले लोग