Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Sawan somwar 2023 : श्रावण के माह में इन 5 शिव मंदिरों में जरूर जाएं दर्शन करने, बाबा भोलेनाथ की मिलेगी कृपा

हमें फॉलो करें Sawan somwar 2023 : श्रावण के माह में इन 5 शिव मंदिरों में जरूर जाएं दर्शन करने, बाबा भोलेनाथ की मिलेगी कृपा
Shiva Temple Miraculous Shivling : भगवान शिव के यूं तो देश और विदेश में हजारों मंदिर है परंतु यदि हम 12 ज्योतिर्लिंगों को छोड़ दें तो शिव के ऐसे भी चमत्कारिक मंदिर है जहां जाकर हर तरह की मनोकामना पूर्ण हो जाती है और निश्‍चित ही व्यक्ति सुखी वैवाहिक जीवन यापन करता है। श्रावण मास में इन 5 शिव मंदिरों में अवश्य दर्शन करने जाना चाहिए।
 
1. बिजली महादेव मंदिर : यह अनोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम स्थल के नजदीक एक पहाड़ पर शिव का यह प्राचीन मंदिर स्थित है। यहां हर 12 साल में एक बार शिवलिंग पर बिजली गिरती है। बिजली गिरने के बाद शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। मंदिर के पुजारी शिवलिंग के अंशों मक्खन में लपेट कर रख देते हैं। शिव के चमत्कार से वह फिर से ठोस बन जाता है। जैसे कुछ हुआ ही न हो।
 
2. निष्कलंक महादेव : यह मंदिर गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से 3 किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है। प्रतिदिन अरब सागर की लहरें यहां के शिवलिंग का जलाभिषेक करती है। ज्वारभाटा जब शांत हो जाता है तब लोग पैदल चलकर इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। ज्वार के समय सिर्फ मंदिर का ध्वज ही नजर आता है।
 
कहते हैं कि यह मंदिर महाभारतकालीन है और जब युद्ध के बाद पांडवों को अपने ही कुल के लोगों को मारने का पछतावा था और वे इस पाप से छुटकारा पाना चाहते थे तब वे श्रीकृष्ण के पास गए। श्रीकृष्ण द्वारिका में रहते थे। श्रीकृष्ण ने उन्हें एक काली गाय और एक काला झंडा दिया और कहा कि तुम यह झंडा लेकर गाय के पीछे-पीछे चलना। जब झंडा और गाय दोनों सफेद हो जाए तो समझना की पाप से छुटकारा मिल गया। जहां यह चमत्कार हो वहीं पर शिव की तपस्या करना।
 
कई दिनों तक चलने के बाद पांडव इस समुद्र के पास पहुंचे और झंडा और गाय दोनों सफेद हो गया। तब उन्होंने वहां तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया। पांचों पांडवों को शिवजी ने लिंग रूप में अलग अलग दर्शन दिए। वही पांचों शिवलिंग आज तक यहां विद्यमान हैं। पांडवों ने यहां अपने पापों से मुक्ति पाई थी इसीलिए इसे निष्‍कलंक महादेव मंदिर कहते हैं।
webdunia
3. लक्ष्मेश्वर महादेव मंदिर : ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान राम ने खर और दूषण के वध के पश्चात अपने भाई लक्ष्मण के कहने पर की थी। इसकी स्थापना स्वयं लक्ष्मण ने की थी। इस शिवलिंग में एक लाख छिद्र हैं। इसलिए इसे लक्षलिंग भी कहा जाता है। कहते हैं कि इस लाख छिद्रों में से एक छिद्र ऐसा भी है जोकि पातालगामी है। क्योंकि उसमें जितना भी पानी डालो वह सब उसमें समा जाता है और एक छिद्र ऐसा है जिसमें जल हमेशा भरा रहता है जिसे अक्षयकुंड कहते हैं।
 
4. स्तंभेश्वर महादेव मंदिर : गुजरात में वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-कंबोई गांव का यह मंदिर अलग ही विशेषता रखता है। मंदिर अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर स्थित है। इस तीर्थ का उल्लेख ‘श्री महाशिवपुराण’ में रुद्र संहिता भाग-2, अध्याय 11, पेज नं. 358 में मिलता है। इस मंदिर के 2 फुट व्यास के शिवलिंग का आकार चार फुट ऊंचा है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर सुबह और शाम दिन में दो बार के लिए पलभर के लिए गायब हो जाता है। ऐसा ज्वारभाटा आने के कारण होता है। इस मंदिर से तारकासुर और कार्तिकेय की कथा जुड़ी हुई है। सागर संगम तीर्थ पर विश्‍वनंद स्तंभ की स्थापना की। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खासतौर से परचे बांटे जाते हैं, जिसमें ज्वार-भाटा आने का समय लिखा होता है।
 
5. भोजेश्वर मंदिर : मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर दूर भोजपुर (रायसेन जिला) में भोजपुर की पहाड़ी पर स्थित है। यहां का शिवलिंग अद्भुत और विशाल है। यह भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई-1055 ई) द्वारा किया गया था। चिकने लाल बलुआ पाषाण के बने इस शिवलिंग को एक ही पत्थर से बनाया गया है और यह विश्व का सबसे बड़ा प्राचीन शिवलिंग माना जाता है। कहते हैं कि यहां पहले साधुओं के एक समूह ने गहन तपस्या की थी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Amaranth Yatra: हिमलिंग पिघलने के बाद ढलान पर अमरनाथ यात्रा, कम होने लगे श्रद्धालु