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प्रथम श्रावण सोमवार का व्रत किस तारीख को है, जानें व्रत एवं पूजा विधि

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 28 जून 2024 (10:30 IST)
Highlights : 
 
* 2024 में श्रावण सोमवार कब से शुरू होंगे। 
* पहले सावन सोमवार को कैसे करें पूजन। 
First sawan somwar 2024 : हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार श्रावण/ सावन मास के प्रथम सोमवार से भगवन भोलेनाथ का खास सोलह सोमवार व्रत प्रारंभ किया जाता है। इस व्रत से अविवाहित युवक-युवतियां भी मनचाहा वर पा सकते हैं। 
 
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में श्रावण का महीना 22 जुलाई, दिन सोमवार से प्रारंभ हो रहा हैं। और सबसे खास बात यह है ही इसी दिन से श्रावण के पवित्र महीने की शुरुआत भी हो रही हैं, जो कि बहुत ही शुभ है। इन दिनों शिवभक्त भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन रहेंगे। वर्ष 2024 में 5 सावन सोमवार पड़ रहे हैं। 
 
इस बार श्रावण की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत रविवार, 21 जुलाई को अपराह्न 03 बजकर 46 मिनट से होगी और उदयातिथि के अनुसार श्रावण माह तथा पहले श्रावण सोमवार का पूजन 22 जुलाई से शुरू होगा। 
 
आइए यहां जानते हैं 22 जुलाई को पड़ने वाले पहले सावन सोमवार के दिन कैसे करें पूजन : 
 
श्रावण सोमवार व्रत प्रथम पूजा विधि : first monday puja vidhi 
 
- प्रथम श्रावण सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।
- पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
- गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें।
- घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें-
'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये'
- इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें-
'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥
- ध्यान के पश्चात 'ॐ नमः शिवाय' तथा 'ॐ शिवायै' नमः' से शिव और पार्वती जी का षोडशोपचार पूजन करें।
- पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें।
- अपार धन प्राप्ति के लिए सोमवार के दिन यह मंत्र जपें- 
मंत्र- मन्दारमालाङ्कुलितालकायै कपालमालांकितशेखराय।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नम: शिवायै च नम: शिवाय।।
श्री अखण्डानन्दबोधाय शोकसन्तापहा​रिणे।
सच्चिदानन्दस्वरूपाय शंकराय नमो नम:॥
- इस मंत्र का पाठ करने के बाद भगवान शिव को घी, शकर, गेंहू के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाएं। 
- तत्पश्चात धूप, दीप से करके प्रसाद वितरण करें।
- इसके बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण करके फलाहार या भोजन ग्रहण करें।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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