Pashupatinath temple Kathmandu and Mandsaur : पशुपतिनाथ नाम से कई मंदिर है लेकिन भारत के मध्यप्रदेश के मंदसौर में स्थित पशुपतिनाथ महादेव मंदिर और नेपाल के काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की विश्वभर में प्रसिद्धि है। आओ जानते हैं कि दोनों मंदिर में क्या है अंतर।
1. नेपाल का मंदिर बागमती नदी के किनारे काठमांडू में स्थित है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। यह मंदिर भव्य है और यहां पर देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। मध्यप्रदेश का पशुपतिनाथ मंदिर साधारण है जो शिवना नदी के पास स्थित है, लेकिन इसकी पूरे भारत में प्रसिद्धि है।
2. नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर का शिवलिंग बहुत प्राचीन है। कहते हैं कि यह वेद लिखे जाने के पहले से ही विद्यमान का है। हालांकि यहां पर मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था। बाद में 605 ईस्वी में राजा अमशुवर्मन भव्य मंदिर बनवाया। जबकि मंदसौर के मंदिर का शिवलिंग 19 जून 1940 को शिवना नदी से मिला था। कहते हैं कि इस शिवलिंग का निर्माण विक्रम संवत 575 ई. में सम्राट यशोधर्मन की हूणों पर विजय के आसपास का है। प्रतिमा को नदी से बाहर निकलने के बाद चैतन्य आश्रम के स्वामी प्रत्याक्षानंद महाराज ने 23 नवंबर 1961 को इसकी प्राण प्रतिष्ठा की। 27 नवंबर को मूर्ति का नामकरण पशुपतिनाथ कर दिया गया। इसके बाद मंदिर निर्माण हुआ।
3. नेपाल स्थित पशुपतिनाथ की प्रतिमा पंचमुखी हैं जबकि मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ प्रतिमा अष्टमुखी है।
4. मंदौर की प्रतिमा में बाल्यावस्था, युवावस्था, अधेड़ावस्था व वृद्धावस्था के दर्शन होते हैं। इसमें चारों दिशाओं में एक के ऊपर एक दो शीर्ष हैं। प्रतिमा में गंगावतरण जैसी दिखाई देने वाली सफेद धारियां हैं। जबकि नेपाल की चारमुखी प्रतिमा थोड़ी अलग है। प्रत्येक चेहरे पर छोटे उभरे हुए हाथ होते हैं, जिसके दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की माला और दूसरे पर कमंडल होता है।
5. मंदसौर स्थित प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 7.25 फीट है जबकि काडमांडू की प्रतिमा की ऊंचाई एक मीटर के लगभग है।
6. नेपाल की प्रतिमा के पांचों मुंह अलग-अलग दिशा और गुणों का परिचय देते हैं। पूर्व दिशा की ओर वाले मुख को तत्पुरुष और पश्चिम की ओर वाले मुख को सद्ज्योत कहते हैं। उत्तर दिशा की ओर वाले मुख को वामवेद या अर्धनारीश्वर कहते हैं और दक्षिण दिशा वाले मुख को अघोरा कहते हैं। जो मुख ऊपर की ओर है उसे ईशान मुख कहा जाता है। है। मंदसौर की प्रतिमा के आठों मुखों का नामांकरण भगवान शिव के अष्ट तत्व के अनुसार है- 1. शर्व, 2. भव, 3. रुद्र, 4. उग्र, 5. भीम, 6. पशुपति, 7. ईशान और 8. महादेव।
7. नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की ज्योतिर्लिंगों में गणना की जाती है। कहते हैं कि भारत का केदारनाथ ज्योतिर्लिंग और पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मिलकर एक पूर्ण ज्योतिर्लिंग बनते हैं। जबकि मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ की गणना ज्योतिर्लिंगों में नहीं की जाती है। यानी पशुपतिनाथ मंदिर को शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदारनाथ मंदिर का आधा भाग माना जाता है।
8. नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर का ज्योतिर्लिंग पारस पत्थर के समान है, जबकि मंदसौर का शिवलिंग एक सामान्य पत्थर है।
9. नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का संबंध शिव के चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में चले जाने और केदारनाथ के मंदिर का पांडवों को भैंसे के रूप में दर्शन देने से है। पुराणों में इन दोनों ही मंदिरों की कथा मिलती है। जबकि मंदसौर के मंदिर की पौराणिक कथा का उल्लेख कम ही मिलता है।
10. दोनों ही मंदिरों की वास्तुकला और निर्माण की भव्यता में बहुत फर्क है। काठमांडू का मंदिर भव्य और उसका प्रांगण विशालकाय है। नेपाल का मंदिर भारतीय वास्तुकला के साथ ही पगोड़ा शैली में भी निर्मित किया गया है, जबकि मंदसौर का मंदिर आम उत्तर भारतीय मंदिरों की तरह ही है।