Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ : यह है श्रावण मास की खास जानकारी सिर्फ आपके लिए

हमें फॉलो करें भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ : यह है श्रावण मास की खास जानकारी सिर्फ आपके लिए
webdunia

अनिरुद्ध जोशी

भगवान शिव का जन्म हुआ या नहीं, हुआ तो कैसे हुआ और क्या वे स्वयंभू हैं?
 
भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ, नहीं हुआ तो क्या वे स्वयंभू हैं?
 
भगवान शिव का जन्म कैसे और कहां हुआ? 
 
वेद कहते हैं कि जो जन्मा है, वह मरेगा अर्थात जो बना है, वह फना है। वेदों के अनुसार ईश्वर या परमात्मा अजन्मा, अप्रकट, निराकार, निर्गुण और निर्विकार है। अजन्मा का अर्थ जिसने कभी जन्म नहीं लिया और जो आगे भी जन्म नहीं लेगा। प्रकट अर्थात जो किसी भी गर्भ से उत्पन्न न होकर स्वयंभू प्रकट हो गया है और अप्रकट अर्थात जो स्वयंभू प्रकट भी नहीं है। निराकार अर्थात जिसका कोई आकार नहीं है, निर्गुण अर्थात जिसमें किसी भी प्रकार का कोई गुण नहीं है, निर्विकार अर्थात जिसमें किसी भी प्रकार का कोई विकार या दोष भी नहीं है।
 
अब सवाल यह उठता है कि फिर शिव क्या है? वे किसी न किसी रूप में जन्मे या प्रकट हुए तभी तो उन्होंने विवाह किया। तभी तो उन्होंने कई असुरों को वरदान दिया और कई असुरों का वध भी किया। दरअसल, जब हम 'शिव' कहते हैं तो वह निराकर ईश्वर की बात होती है और जब हम 'सदाशिव' कहते हैं तो ईश्वर महान आत्मा की बात होती है और जब हम शंकर या महेश कहते हैं तो वह सती या पार्वती के पति महादेव की बात होती है। बस, हिन्दूजन यहीं भेद नहीं कर पाते हैं और सभी को एक ही मान लेते हैं। अक्सर भगवान शंकर को शिव भी कहा जाता है।

webdunia
भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ?
शिवपुराण के अनुसार भगवान सदाशिव और पराशक्ति अम्बिका (पार्वती या सती नहीं) से ही भगवान शंकर की उत्पत्ति मानी गई है। उस अम्बिका को प्रकृति, सर्वेश्वरी, त्रिदेवजननी (ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता), नित्या और मूल कारण भी कहते हैं। सदाशिव द्वारा प्रकट की गई उस शक्ति की 8 भुजाएं हैं। पराशक्ति जगतजननी वह देवी नाना प्रकार की गतियों से संपन्न है और अनेक प्रकार के अस्त्र शक्ति धारण करती है। वह शक्ति की देवी कालरूप सदाशिव की अर्धांगिनी दुर्गा हैं।
 
उस सदाशिव से दुर्गा प्रकट हुई। काशी के आनंदरूप वन में रमण करते हुए एक समय दोनों को यह इच्‍छा उत्पन्न हुई कि किसी दूसरे पुरुष की सृष्टि करनी चाहिए, जिस पर सृष्टि निर्माण (वंशवृद्धि आदि) का कार्यभार रखकर हम निर्वाण धारण करें। इस हेतु उन्होंने वामांग से विष्णु को प्रकट किया। इस प्रकार विष्णु के माता और पिता कालरूपी सदाशिव और पराशक्ति दुर्गा हैं। विष्णु को उत्पन्न करने के बाद सदाशिव और शक्ति ने पूर्ववत प्रयत्न करके ब्रह्माजी को अपने दाहिने अंग से उत्पन्न किया और तुरंत ही उन्हें विष्णु के नाभि कमल में डाल दिया। इस प्रकार उस कमल से पुत्र के रूप में हिरण्यगर्भ (ब्रह्मा) का जन्म हुआ। एक बार ब्रह्मा और विष्‍णु दोनों में सर्वोच्चता को लेकर लड़ाई हो गई, तो बीच में कालरूपी एक स्तंभ आकर खड़ा हो गया।
 
तब ज्योतिर्लिंग रूप काल ने कहा- 'पुत्रो, तुम दोनों ने तपस्या करके मुझसे सृष्टि (जन्म) और स्थिति (पालन) नामक दो कृत्य प्राप्त किए हैं। इसी प्रकार मेरे विभूतिस्वरूप रुद्र और महेश्वर ने दो अन्य उत्तम कृत्य संहार (विनाश) और तिरोभाव (अकृत्य) मुझसे प्राप्त किए हैं, परंतु अनुग्रह (कृपा करना) नामक दूसरा कोई कृत्य पा नहीं सकता। रुद्र और महेश्वर दोनों ही अपने कृत्य को भूले नहीं हैं इसलिए मैंने उनके लिए अपनी समानता प्रदान की है।' सदाशिव कहते हैं- 'ये (रुद्र और महेश) मेरे जैसे ही वाहन रखते हैं, मेरे जैसा ही वेश धरते हैं और मेरे जैसे ही इनके पास हथियार हैं। वे रूप, वेश, वाहन, आसन और कृत्य में मेरे ही समान हैं।'
 
अब यहां 7 आत्मा हो गईं- ब्रह्म (परमेश्वर) से सदाशिव, सदाशिव से दुर्गा। ‍‍सदाशिव-दुर्गा से विष्णु, ब्रह्मा, रुद्र, महेश्वर। इससे यह सिद्ध हुआ कि ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र और महेश के जन्मदाता कालरूपी सदाशिव और दुर्गा हैं।

webdunia
कहां जन्म हुआ था?
उस कालरूपी ब्रह्म सदाशिव ने एक ही समय शक्ति के साथ 'शिवलोक' नामक क्षेत्र का निर्माण किया था। उस उत्तम क्षेत्र को 'काशी' कहते हैं। वह मोक्ष का स्थान है। यहां शक्ति और शिव अर्थात कालरूपी ब्रह्म सदाशिव और दुर्गा यहां पति और पत्नी के रूप में निवास करते हैं। यही पर जगतजननी ने शंकर को जन्म दिया। इस मनोरम स्थान काशीपुरी को प्रलयकाल में भी शिव और शिवा ने अपने सान्निध्य से कभी मुक्त नहीं किया था। 
 
एक अन्य पुराण के अनुसार एक बार ऋषि-मुनियों में जिज्ञासा जागी कि आखिर भगवान शंकर के पिता कौन है? यह सवाल उन्होंने शंकरजी से ही पूछ लिया कि हे महादेव, आप सबके जन्मदाता हैं लेकिन आपका जन्मदाता कौन है? आपके माता-पिता का क्या नाम है?
 
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान शिव ने कहा- हे मुनिवर, मेरे जन्मदाता भगवान ब्रह्मा हैं। मुझे इस सृष्टि का निर्माण करने वाले भगवान ब्रह्मा ने जन्म दिया है। इसके बाद ऋषियों ने एक बार फिर भगवान शंकर से पूछा कि यदि वे आपके पिता हैं तो आपके दादा कौन हुए? तब शिव ने उत्तर देते हुए कहा कि इस सृष्टि का पालन करने वाले भगवान श्रीहरि अर्थात भगवान विष्णु ही मेरे दादाजी हैं। भगवान की इस लीला से अनजान ऋषियों ने फिर से एक और प्रश्न किया कि जब आपके पिता ब्रह्मा हैं, दादा विष्णु, तो आपके परदादा कौन हैं, तब शिव ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि स्वयं भगवान शिव।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

यदि बर्बाद हो गए हैं तो हिन्दू धर्म की ये 6 बातें आपको फिर से खड़ा कर देगी