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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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श्रावण मास में महत्व है इन 10 शिव मंत्र और स्तोत्र का, जानिए यहां

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10 Powerful Shiv Mantra
 
शिव के प्रिय मास श्रावण में चारों ओर धर्म का पवित्र वातावरण बन जाता है। इस माह का लाभ सभी को उठाना चाहिए। इस माह में जपे गए मंत्र सिद्ध और असरकारी होते हैं। शिव को प्रसन्न करते हैं।
 
इस माह में सर्वव्याधि नाश, बुद्धि, व ज्ञानवृद्धि, ऐश्वर्य प्राप्ति, सुख-सौभाग्य आदि के लिए भगवान शिव की पूजा करके दुग्ध की धारा से अभिषेक करते हुए निम्न मंत्रों का जाप करना चाहिए। आइए जानिए श्रावण मास के कुछ खास विशेष मंत्र- 
 
श्रावण मास विशेष : 10 शिव मंत्र  
 
1. ॐ जुं स:।
 
2. ॐ हौं जूं स:।
 
3. ॐ त्र्यंम्बकम् यजामहे, सुगन्धिपुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।' 
 
4. 'ॐ ऐं नम: शिवाय।
 
5. 'ॐ ह्रीं नम: शिवाय।' 
 
6. 'ऐं ह्रीं श्रीं 'ॐ नम: शिवाय' : श्रीं ह्रीं ऐं
 
7. चंद्र बीज मंत्र- 'ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:', चंद्र मूल मंत्र 'ॐ चं चंद्रमसे नम:'।
 
8. शिव गायत्री मंत्र- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
 
9. ॐ नमः शिवाय
 
10. ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं।
 
श्रावण मास में सिर्फ 'दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम्‌' पढ़ने से बेशुमार धन संपदा मिलने के योग बनते हैं।
 
दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम्‌ : 
 
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकांतिधवलाय जटाधराय
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥
 
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय ॥दारिद्रय. ॥2॥
 
भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय ॥ दारिद्रय. ॥3॥
 
चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय ॥ दारिद्रय. ॥4॥
 
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनंतभूमिवरदाय तमोमयाय ॥दारिद्रय. ॥5॥
 
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय ॥दारिद्रय. ॥6॥
 
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय ॥ दारिद्रय. ॥7॥
 
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङग्‌चर्मवसनाय महेश्वराय ॥ दारिद्रय. ॥8॥
 
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्‌।
सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्‌।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्‌ ॥9॥
 
उपरोक्त मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार अवश्य करें। साथ इन मंत्रों के जाप और इस स्तोत्र का पाठ करने से आप सुख, सौभाग्य और ऐश्वर्य सभी कुछ पा सकते हैं।


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