पितृपक्ष में तिथि का रखें विशेष ध्यान, किस दिन करें किसका श्राद्ध

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श्राद्धकर्म में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, जैसे तिथि का। किसी भी तिथि पर किसी  का श्राद्ध नहीं किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि किस तिथि को होता है किसका श्राद्ध... 
 
त्रयोदशी तिथि : संन्यासियों का श्राद्ध 

चतुर्दशी तिथि- शस्त्र-जल अग्नि-विषादि से मृतकों का श्राद्ध। 
 
चतुर्दशी तिथि में लोक छोड़ने वालों का श्राद्ध (सर्वपितृ श्राद्ध) ध्यान रखा जाता है, जैसे जिन जातकों  की सामान्य मृत्यु चतुर्दशी तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध केवल पितृपक्ष की त्रयोदशी अथवा  अमावस्या को किया जाता है। 
 
जिन जातकों की अकाल-मृत्यु (दुर्घटना, सर्पदंश, हत्या, आत्महत्या आदि) हुई हो, उनका श्राद्ध केवल  चतुर्दशी तिथि को ही किया जाता है। 
 
सुहागिन स्त्रियों का श्राद्ध केवल नवमी को ही किया जाता है। नवमी तिथि माता के श्राद्ध के लिए भी  उत्तम है। 
 
संन्यासी पितृगणों का श्राद्ध केवल द्वादशी को किया जाता है। 
 
पूर्णिमा को मृत्यु प्राप्त जातकों का श्राद्ध केवल भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा अथवा आश्विन कृष्ण अमावस्या  को किया जाता है। नाना-नानी का श्राद्ध केवल आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को किया जाता है। 

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