Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

25 सितंबर से श्राद्ध पक्ष, ये 16 दिन रहेंगे 'पितृ-आराधना' के लिए सर्वश्रेष्ठ

हमें फॉलो करें 25 सितंबर से श्राद्ध पक्ष, ये 16 दिन रहेंगे 'पितृ-आराधना' के लिए सर्वश्रेष्ठ
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

25 सितंबर से श्राद्ध पक्ष प्रारंभ होने जा रहा है। पितृपक्ष के इन सोलह दिनों में 'पितृ-आराधना' हेतु श्राद्ध व तर्पण इत्यादि किया जाता है। 
 
शास्त्र का वचन है- 'श्रद्धया इदम् श्राद्धम्' अर्थात् पितरों के निमित्त श्रद्धा से किया गया कर्म ही श्राद्ध है। 
 
श्राद्ध पक्ष में पितृगणों (पितरों) के निमित्त तर्पण व ब्राह्मण भोजन कराने का विधान है, किन्तु जानकारी के अभाव में अधिकांश लोग इसे उचित रीति से नहीं करते, जो कि दोषपूर्ण है, क्योंकि शास्त्रानुसार 'पितरो वाक्यमिच्छन्ति भावमिच्छन्ति देवता:' अर्थात् देवता भाव से प्रसन्न होते हैं और पितृगण शुद्ध व उचित विधि से किए गए श्राद्ध कर्म से। श्राद्ध पक्ष में तर्पण एवं ब्राह्मण भोजन कराने से पितृ तृप्त होते हैं। 
 
श्राद्ध पक्ष में नित्य मार्कण्डेय पुराण के अनुसार 'पितृ स्तुति' करने से पितृ प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। श्राद्ध पक्ष में 'कुतप' काल में नित्य तर्पण करना चाहिए। तर्पण सदैव काले तिल, दूध, पुष्प, कुश, तुलसी, नर्मदा/गंगाजल मिश्रित जल से करें। 
 
तर्पण सदैव पितृ-तीर्थ (तर्जनी व अंगूठे के मध्य का स्थान) से करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के लिए श्राद्ध कर्म अनिवार्य है, वह करना ही चाहिए, लेकिन उससे भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, जीवित अवस्था में अपने माता-पिता की सेवा करना। जिसने जीवित अवस्था में ही अपने माता-पिता को अपनी सेवा से संतुष्ट कर दिया हो, उसे अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता ही है। 
 
शास्त्र का वचन है- 'वित्तं शाठ्यं न समाचरेत' अर्थात् श्राद्ध में कंजूसी नहीं करना चाहिए, अपने सामर्थ्य से बढ़कर श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
 
- ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आ रहा है नवरात्रि पर्व, पूजन के समय रखें वास्तु का ध्यान, जानिए 10 खास बातें...