Second day of Shradh: धार्मिक शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक यानी कुल 16 दिनों तक चलता है। 18 सितंबर 2024 को सुबह 08:04 से अश्विन माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो गई है। इस दिन प्रतिपदा का श्राद्ध रखा जा रहा है। पहला श्राद्ध पूर्णिमा का और दूसरा श्राद्ध प्रतिपदा का है। प्रतिपदा श्राद्ध का महत्व और जानिए कि इस दिन किसका श्राद्ध कर सकते हैं।
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18 सितंबर प्रतिपदा का श्राद्ध : यदि उनका कोई पुत्र न हो तो प्रतिपदा को नाना का श्राद्ध किया जाता है। इसी के साथ जिस किसी का भी निधन प्रतिपदा के दिन हुआ है उसका श्राद्ध भी इसी दिन होगा।
विशेष कार्य : जिनका भी स्वर्गवास इस तिथि को हुआ है उनका श्राद्ध कर्म इस दिन करना चाहिए। दूसरे दिन के श्राद्ध के समय तिल और सत्तू के तर्पण का विधान है। सत्तू में तिल मिलाकर अपसव्य से दक्षिण-पश्चिम होकर, उत्तर, पूरब इस क्रम से सत्तू को छिंटते हुए प्रार्थना करें कि हमारे कुल में जो कोई भी पितर प्रेतत्व को प्राप्त हो गए हैं, वो सभी तिल मिश्रित सत्तू से तृप्त हो जाएं। फिर उनके नाम से जल चढ़ाकर प्रार्थना करें। 'ब्रह्मा से लेकर चिट्ठी पर्यन्त चराचर जीव, मेरे इस जल-दान से तृप्त हो जाएं।' ऐसा करने से कुल में कोई प्रेत नहीं रहता है। तिल और सत्तू अर्पित करते हुए पूर्वजों से प्रार्थना करनी चाहिए।
1. तर्पण करें : तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। एक थाली और लौटा लेकर नदी के तट या किसी जलाशाय पर यह कर्म करना ज्यादा शुभ माना गया है।
2. पिंडदान करें : चावल के तीन पिंड बनाए जाते हैं। जनेऊ को दाएं कंधे पर पहनकर और दक्षिण की ओर मुख करके उन पिंडो को पितरों को अर्पित करें। अधिकमास हो तो 16 पिंड और नहीं हो तो 15 पिंडों को अर्पित करते हैं।
3. पंचबलि कर्म : अर्थात पांच जीवों को भोजन दिया जाता है। श्राद्ध में गोबलि, श्वानबलि, काकबलि, देवादिबलि और पिपलिकादि कर्म किया जाता है। अर्थात गाय, कुत्ते, कौआ, देव और चींटी को अन्न दिया जाता हैं।