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Chaturdashi shradh 2024: पितृपक्ष का पंद्रहवा दिन : जानिए चतुर्दशी श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें

Shradh Paksha 2024 : जिनकी हुई है अकाल मृत्यु उनका श्राद्ध करें चतुर्दशी श्राद्ध तिथि पर तो मिलेगी मुक्ति

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WD Feature Desk

, सोमवार, 30 सितम्बर 2024 (18:35 IST)
Chaturdashi ka Shradh kab hai 2024: श्राद्ध पक्ष में आने वाली आश्‍विन माह के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी के श्राद्ध का खास महत्व है क्योंकि यह श्राद्ध उन लोगों के लिए होता है जो अकाल मौत मरे हैं।  कुछ लोगों के यहां पर किसी कारण वश जवान मौत हो जाती है। इस मौत को अकाल अर्थात असमय हुई मृत्यु कहते हैं। चाहे वह हत्या, आत्महत्य या किसी प्रकार की दुर्घटना हो। यह भी हो सकता है कि किसी गंभीर रोग के कारण असमय ही देहांत हो गया हो। यदि आपके घर में किसी की अकाल मृत्यु हुई है तो उसका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन करें।
 
  • चतुर्दशी का श्राद्ध अकाल मृत्यु से मरे परिजनों की मुक्ति के लिए है
  • श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान, पंचबलि कर्म और ब्राह्मण भोज होता है
  • तर्पण और पिंडदान करने के बाद गरीबों को यथाशक्ति दान दें।
     
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 30 सितम्बर 2024 शाम को 07:06 से प्रारंभ।
चतुर्दशीतिथि समाप्त- 01 अक्टूबर 2024 को रात्रि 09:39 बजे समाप्त।
 
चतुर्दशी का श्राद्ध 1 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा, जानिए मुहूर्त:-
कुतुप मुहूर्त- दोपहर 11:47 से 12:34 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:47 से 12:34 के बीच।
रोहिणी मुहूर्त- दोपहर 12:34 से 01:22 के बीच।
अपराह्न काल- दोपहर 01:22 से 03:44 के बीच।
Chaturdashi Shradh 2024
पितृपक्ष के चतुर्दशी श्राद्ध की खास बातें:-
1. जिस व्यक्ति की मृत्यु डूबने, शस्त्र घात, विषपान, आत्महत्या या अन्य कारणों से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन करते हैं।
 
2. यदि आपके घर में किसी की अकाल मृत्यु हुई है, तो उसका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन ही करना चाहिए। 
 
3. चतुर्दशी का श्राद्ध उन जवान मृतकों के लिए किया जाता है जो असमय ही मृत्यु को प्राप्त हो गए हैं।
 
4. आश्विन माह की चतुर्दशी तिथि को स्नानादि के बाद श्राद्ध के लिए भोग तैयार करें। 
 
5. इस दिन पंचबलि का भोग लगता है। इसमें गाय, कुत्ता, कौआ और चींटियों के बाद ब्राह्मण को भोज कराने की परंपरा होती है। 
 
6. इस दिन अंगुली में कुशा घास की अंगूठी पहनें और भगवान विष्णु और यमदेव की उपासना करें।
 
7. तर्पण और पिंडदान करने के बाद गरीबों को यथाशक्ति दान दें।
 
8. यदि तिथि ज्ञात नहीं हो तो सर्वपितृ अमावस्या पर इनका श्राद्ध कर सकते हैं।
 
9. इस दिन पवित्र धागा पहनने का भी रिवाज है, जिसे कई बार बदला जाता है। इसके बाद पिंडदान किया जाता है।
 
10.  तीन, ग्यारह या चौदह ब्राह्मणों या बटुकों को भोजन कराएं और उन्हें यथाशक्ति दान दें।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
 

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