Trayodashi Shradh 2024: पितृपक्ष का चौदहवां दिन : जानिए त्रयोदशी श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें

Ttrayodashi shradh kab hai: परिवार के स्वर्गवासी बच्चों का श्राद्ध किया जाता है त्रयोदशी के दिन

WD Feature Desk
शनिवार, 28 सितम्बर 2024 (15:56 IST)
Trayodashi ka Shradh kab hai 2024: श्राद्ध पक्ष में आने वाली आश्‍विन माह के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी के श्राद्ध का खास महत्व है। इस श्राद्ध को करने से मृत बच्चों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें नया जन्म लेने में कठिनाई नहीं होती है।ALSO READ: 16 shradh paksha 2024: अकाल मृत्यु जो मर गए हैं उनका श्राद्ध कब और कैसे करें?

  • त्रयोदशी का श्राद्ध मृत बच्चों की मुक्ति के लिए होता है
  • 2 वर्ष से 6 वर्ष के बीच के बच्चों का श्राद्ध त्रयोदशी के दिन करें 
  • श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान, पंचबलि कर्म और ब्राह्मण भोज होता है

 
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 29 सितम्बर 2024 को दोपहर 04:47 बजे से प्रारंभ।
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 30 सितम्बर 2024 शाम को 07:06 तक समाप्त।
 
त्रयोदशी का श्राद्ध 30 सितम्बर 2024 को रखा जाएगा, जानिए मुहूर्त:-
कुतुप मुहूर्त- दोपहर 11:47 से 12:35 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:47 से 12:35 के बीच।
रोहिणी मुहूर्त- दोपहर 12:35 से 01:22 के बीच।
अपराह्न काल- दोपहर 01:23 से 03:45 के बीच।
shradhh 2024
पितृपक्ष के त्रयोदशी श्राद्ध की खास बातें:-
1. जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार कृष्ण या शुक्ल इन दोनों पक्षों त्रयोदशी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। 
 
2. इस दिन मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है। जिन बालकों की आयु दो वर्ष या उससे अधिक होती इस दिन उनका श्रा़द्ध किया जाता है। 
 
3. यह भी कहा जाता है कि यदि बालक और कन्या की उम्र 2 वर्ष से 6 वर्ष के बीच है तो इनका श्रा़द्ध तो नहीं होता परंतु मलिन षोडशी क्रिया जाती है। मलिन षोडशी क्रिया मृत्यु से लेकर अंतिम संस्कार तक के समय में की जाती है।
 
4. श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान, पंचबलि कर्म और ब्राह्मण भोज का कार्य किया जाता है।
 
5. दस वर्ष से अधिक उम्र की कन्याओं श्राद्ध पूर्ण विधि-विधान से करना चाहिए।
 
6. किशोर हो चुके अविवाहितों का श्रा़द्ध पंचमी के दिन भी किया जा सकता है। इसीलिए इसे कुंवारा पंचमी भी कहते हैं।
 
7. यदि बालकों और कन्याओं की 6 छह वर्ष से अधिक है तो मृत्युपरांत उनकी श्रा़द्ध की संपूर्ण क्रिया विधि-विधान के साथ की जाती हैं। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

वास्तु के अनुसार कैसे घर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलें?

हनुमान जी के पान के बीड़े में क्या क्या होता है, क्यों करते हैं बीड़ा अर्पित?

मीन राशि में 5 ग्रहों के योग से 5 राशियों को होगा फायदा

महावीर जयंती 2025 शुभकामनाएं: अपने प्रियजनों को भेजें ये सुंदर और प्रेरणादायक विशेज

मंगल के राशि परिवर्तन से क्या होगा देश और दुनिया का हाल

सभी देखें

धर्म संसार

बृहस्पति ग्रह के मिथुन राशि में प्रवेश से बदल जाएगी 4 राशियों की किस्मत

कामदा एकादशी: साधना, पुण्य और दिव्य आशीर्वाद की कथा

Saptahik Calendar : नए सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें इस हफ्ते का साप्ताहिक पंचांग (07 से 13 अप्रैल 2025)

हनुमान जी का तिलक क्यों माथे की जगह गले पर लगाती हैं महिलाएं, जानिए कारण

Aaj Ka Rashifal: कैसा रहेगा नौकरी, व्यापार और सेहत के लिए दिन, पढ़ें 07 अप्रैल का भविष्यफल

अगला लेख
More