महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा करें या शिवमूर्ति की?

shiv and shivling
WD Feature Desk
गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025 (15:43 IST)
Mahashivratri 2025: फाल्गुन मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का त्योहार मनाते हैं। इस बार 26 फरवरी 2025 को यह पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन प्रयागराज महाकुंभ में अंतिम अमृत स्नान होगा। इस दिन भगवान शिव और माता पर्वती जी पूजा का महत्व है। कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे और इसी दिन उनका विवाह भी हुआ था।ALSO READ: शिव चालीसा पढ़ते समय ये गलतियां तो नहीं करते हैं आप?
 
1. महाशिवरात्रि पर शिवजी ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे इसलिए सबसे पहले शिवलिंग की पूजा का ही महत्व है। इसके बाद शिवजी की मूर्ति की पूजा  इसलिए करते हैं क्योंकि इसी दिन उनका माता पार्वती से विवाह हुआ था। इसलिए शिवमूर्ति के साथ ही माता पार्वती की पूजा भी करते हैं या ऐसी शिवमूर्ति की पूजा करते हैं जिनके साथ माता पार्वती भी हो। ALSO READ: Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि के 5 खास अचूक उपाय, आजमाएंगे तो मिलेगा अपार लाभ
 
2. महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पूजा का विधान अलग है। शिवलिंग का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और पंचामृत अभिषेक किया जा सकता है परंतु शिवमूर्ति की पूजा करते समय उनका सिर्फ जलाभिषेक करके उन्हें पूजा का अन्य सामान अर्पित करते हैं।
3. शिवलिंग की आधी परिक्रमा लगाने का विधान है परंतु यदि मूर्ति की पूजा कर रहे हैं तो मूर्ति की पूरी परिक्रमा लगा सकते हैं। ALSO READ: महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, रह जाएंगे भोलेनाथ की कृपा से वंचित
 
4. शिवलिंग की पूजा के समय शिवलिंग पर हार फूल, माला, भांग धतूरा, आंकड़ा आदि अर्पित करते हैं परंतु शिवमूर्ति पर इसके साथ ही वस्त्र भी अर्पित करते हैं जो कि शिवलिंग पर नहीं करते हैं। शिवलिंग महादेव का निराकार रूप है और शिवमूर्ति उनका साकार रूप है। ऐसा भी कहते हैं कि शिवलिंग उनका दिगंबर स्वरूप है।
 
5. शिवलिंग की पूजा में शिवलिंग विन्यास में ही माता पार्वती, गणेशजी, कार्तिकेय, नागदेव और अशोक सुंदरी का एक निश्‍चित स्थान होता है। शिवलिंग पूाज के दौरान इन सभी की पूजा होती है जबकि महाशिवरात्रि पर शिवमूर्ति पूजा के दौरान शिवजी और माता पार्वती की ही पूजा होती है।

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