देवों के देव देवाधिदेव महादेव ही एक मात्र ऐसे भगवान हैं, जिनकी भक्ति हर कोई करता है। चाहे वह इंसान हो, राक्षस हो, भूत-प्रेत हो अथवा देवता हो। यहां तक कि पशु-पक्षी, जलचर, नभचर, पाताललोक वासी हो अथवा बैकुण्ठवासी हो। शिव की भक्ति हर जगह हुई और जब तक दुनिया कायम है, शिव की महिमा गाई जाती रहेगी।
शिव पुराण कथा के अनुसार शिव ही ऐसे भगवान हैं, जो शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा वर दे देते हैं। वे सिर्फ अपने भक्तों का कल्याण करना चाहते हैं। वे यह नहीं देखते कि उनकी भक्ति करने वाला इंसान है, राक्षस है, भूत-प्रेत है या फिर किसी और योनि का जीव है। शिव को प्रसन्न करना सबसे आसान है।
शिवलिंग की महिमा बताते हुए कहा कि शिवलिंग में मात्र जल चढ़ाकर या बेलपत्र अर्पित करके भी शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। इसके लिए किसी विशेष पूजन विधि की आवश्यकता नहीं है।
एक कथा के अनुसार वृत्तासुर के आतंक से देवता भयभीत थे। वृत्तासुर को श्राप था कि वह शिव पुत्र के हाथों ही मारा जाएगा। इसलिए पार्वती के साथ शिवजी का विवाह कराने के लिए सभी देवता चिंतित थे, क्योंकि भगवान शिव समाधिस्थ थे और जब तक समाधि से उठ नहीं जाते, विवाह कैसे होता?
देवताओं ने विचार करके रति व कामदेव से शिव की समाधि भंग करने का निवेदन किया। कामदेव ने शिवजी को जगाया तो क्रोध में शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया। रति विलाप करने लगी तो शिव ने वरदान दिया कि द्वापर में कामदेव भगवान के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेंगे।
1 . भगवान शिव को अगर आप चावल के मात्र 4 दाने भी भाव से अर्पित करें तो वे प्रसन्न होकर वरदान देते हैं।
2 . भोलेनाथ को एक कलश शीतल जलधारा भी प्रसन्न कर देती है।
3 : 1 बिल्वपत्र से भी मनचाहा वरदान पाया जा सकता है अगर वह संपूर्ण भाव से चढ़ाया जाए।
4 . एक धतूरा, एक आंकड़ा, एक बेर, एक संतरा भी उन्हें प्रसन्न कर सकता है।
5. दूध, दही, शकर, घी, शहद और गन्न का रस भी श्रद्धानुसार अर्पित कर शिव से मनचाहा वरदान पाया जा सकता है।
शिव मंत्र : ॐ नम: शिवाय
पार्वती मंत्र : ॐ शिवाय नम: