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Mahashivaratri 2020 : भगवान शिव को क्यों कहते हैं आदिश, जानिए

हमें फॉलो करें Mahashivaratri 2020 : भगवान शिव को क्यों कहते हैं आदिश, जानिए

अनिरुद्ध जोशी

भगवान शिव जिन्हें शंकर और महादेव कहा क्या है उनके कई नाम है। हिन्दू धर्म के प्रारंभ और केंद्र में वे ही हैं। उनका एक नाम आदिश है। इस आदिश से ही आदेश शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है। जितने भी शैव और नाथ संप्रदाय के लोग हैं जब वे मिलते हैं तो एक दूसरे से कहते हैं 'आदेश' नमो नारायण।
 
 
1.सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है। आदिश का अर्थ प्रारंभिक ईश। आदिश्‍वर अर्थात सबसे पहला ईश्वर। जगदिश्‍वर या विश्वेश्वर- जगत या सारे विश्व का ईश्वर।
 
 
2.शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।
 
 
3.भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

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