धरती पर वह कौनसा स्थान है जहां हुआ था माता पार्वती और शिव का विवाह

Webdunia
शनिवार, 26 फ़रवरी 2022 (18:42 IST)
महाशिवरात्रि 2022: उत्तराखंड प्रदेश में हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार है, जो गंगा के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। यह भारतवर्ष के सात पवित्र स्थानों में से एक है। यहां से कुछ किलोमीटर दूर सबसे प्राचीन स्थान कनखल है जहां पर पार्वती के पिता राज दक्ष रहते थे। कनखल हरिद्वार का सबसे प्राचीन स्थान है। इसका उल्लेख पुराणों में मिलता है। यह स्थान हरिद्वार से लगभग 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वर्तमान में कनखल हरिद्वार की उपनगरी के रूप में जाना जाता है।
 
 
कनखल का इतिहास महाभारत और भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कनखल ही वो जगह है जहां पर माता सती का विवाह शिवजी के साथ हुआ था। यहीं पर शिवजी बारात लेकर पहुंच थे। यहीं पर राजा दक्ष ने प्रसिद्ध यज्ञ किया था और सती ने अपने पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान करने पर उस यज्ञ में खुद को दाह कर लिया था। माता सती के अग्निदाह के बाद शिव के गण वीरभद्र ने राजा दक्ष की वध कर दिया था बाद में शिवजी ने उनके धड़ को वश्व के सिर से जोड़ दिया था। इसी घटना की याद में यहां पर दक्षेश्वर मदिर बना हुआ है।
 
आज कनखल हरिद्वार के सबसे ज्यादा घनी आबादी वाला क्षेत्र है। आज भी कनखल में बहुत सारे प्राचीन मंदिर बने हुए है। खरीदारी के हिसाब से हरिद्वार में कनखल का बाजार एक उपयुक्त स्थान माना जा सकता है। कनखनल हरिद्वार की प्राचीन धरोहर है। यह राजा दक्ष की के राज्य की राजधानी थी। यहीं पर विश्व प्रसिद्ध गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय भी है। हरिद्वार को पंचपुरी भी कहा जाता है। पंचपुरी में मायादेवी मंदिर के आसपास के 5 छोटे नगर सम्मिलित हैं। कनखल उनमें से ही एक है। कनखलन में रुईया धर्मशाला, सती कुंड, हरिहर आश्रम, श्रीयंत्र मंदिर, दक्ष महादेव मंदिर, गंगा घाट और उनका मंदिर, शीतला माता मंदिर, दश महाविद्या मंदिर, ब्रम्हेश्वर महादेव मंदिर, हवेली सदृश अखाड़े और कनखल की संस्कृत पाठशालाएं।
दक्ष मंदिर : 
1. हरिद्वार के दक्षिण में 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दक्ष महादेव मंदिर को उत्तराखण्ड का प्राचीन धार्मिक स्थल माना जाता है।
 
2. शिवजी को समर्पित इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने हेतु आते हैं। मंदिर के मध्य में शिवलिंग स्थापित है।
 
3. यह मंदिर माता सती के पिता राजा दक्ष की याद में बनवाया गया है।
 
4. किवदंतियों के अनुसार यहीं पर राजा दक्ष ने वह यज्ञ किया था जिसमें कूदकर माता सती ने आत्मदाह कर लिया था। इससे शिव के अनुयायी वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया था। बाद में शिव ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।
 
5. इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1810 ईस्वी में पहले रानी धनकौर ने करवाया था और 1962 में इसका पुनर्निर्माण किया गया।
 
6. इस मंदिर में एक छोटा गड्ढा है। माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां माता यज्ञ की अग्नि में कूद गई थी। 
 
7. यह मंदिर कनखल क्षेत्र में स्थित है। कहते हैं कि ब्रह्मपुत्र राजा दक्ष कनखल नरेश थे और उनकी इच्छा के विपरीत शिव ने इसी स्थल पर सती से विवाह रचाया था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Chanakya Niti : चाणक्य नीति के अनुसार धरती पर नर्क भोगता है ऐसा आदमी

Shradh paksha 2024: श्राद्ध पक्ष में कब किस समय करना चाहिए पितृ पूजा और तर्पण, कितने ब्राह्मणों को कराएं भोजन?

Tulsi Basil : यदि घर में उग जाए तुलसी का पौधा अपने आप तो जानिए क्या होगा शुभ

Shradh paksha 2024: श्राद्ध पक्ष आ रहा है, जानिए कुंडली में पितृदोष की पहचान करके कैसे करें इसका उपाय

Shani gochar 2025: शनि के कुंभ राशि से निकलते ही इन 4 राशियों को परेशानियों से मिलेगा छुटकारा

सभी देखें

धर्म संसार

16 shradh paksha 2024: अकाल मृत्यु जो मर गए हैं उनका श्राद्ध कब और कैसे करें?

18 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

18 सितंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Guru Gochar : 12 साल बाद गुरु करेंगे बुध की राशि में गोचर, इन राशियों का गोल्डन टाइम होगा शुरू

Shardiya navratri 2024 ashtami date: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More