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महाशिवरात्रि पर जानिए शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग के 12 रहस्य

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WD Feature Desk

, सोमवार, 17 फ़रवरी 2025 (16:20 IST)
12 secrets of 12 Jyotirlingas of Lord Shiva: देशभर में जो ज्योर्तिलिंग है वे सभी स्वंभू माने जाते हैं। 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन या दर्शन से जितना पुण्यकाल प्राप्त होता है उतना किसी भी शिवलिंग के पूजन या दर्शन से नहीं होता है। आओ जानते हैं 12 ज्योतिर्लिंग के 12 रहस्य।ALSO READ: Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या है अंतर?
 
1. सोमनाथ: इसे सबसे प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। इसे भगवान चंद्रदेव ने स्थापित किया था। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित यह ज्योतिर्लिंग चुम्बक की शक्ति से कभी हवा में स्थित था। महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर के साथ ही इसके शिवलिंग को भी तोड़ दिया था।
 
2. श्री मल्लिकार्जुन: यह ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। इस पर्वत को दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं। यह स्थान कृष्णा नदी के तट पर है। इसी स्थान से गणेश जी और कार्तिकेय की धरती परिक्रमा की कथा जुड़ी हुई है। दूसरी कथा राजा चंद्रगुप्त की पुत्री से जुड़ी हुई है। 
 
3. श्री महाकालेश्वर: मध्यप्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी तट पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है। इसे महाकाल कहते हैं। प्राचीनकाल में यहीं से विश्व का काल यानी मानक समय निर्धारित होता था। महाकाल इसलिए भी कहते हैं क्योंकि यह अपने भक्तों को अकाल मृत्यु से बचाते हैं। 
 
4. श्री ओंकारेश्वर: यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में नर्मदा किनारे स्थित है। यहां पर विंध्य पर्वत ने शिवजी की आराधना की थी। इंदौर से यह स्थान लगभग 95 किलोमीटर दूर है। ओंकारेश्वर नर्मदा तट पर स्थित एक द्वीप है। यह द्वीप पवित्र चिह्न ॐ के आकार का दिखाई देता है। 
 
5. श्री केदारनाथ: भगवान शिव यह यह स्थान उत्तराखंड के हिमालय में बद्रीनाथ धाम के पास लगभग 12 हजार फुट की ऊंचाई पर है। इस ज्योतिर्लिंग की कथा पांडवों से जुड़ी है। यही मंदिर के पीछे आदि शंकराचार्य की समाधि है। इस मंदिर पर मौसम का असर नहीं होता। बर्फ में दबे होने के बावजूद 6 माह तक दीपक जलता रहता है। ALSO READ: आश्चर्य में डाल देते हैं उज्जैन से अन्य ज्योतिर्लिंगों की दूरी के अद्भुत आंकड़े
 
6. श्री भीमाशंकर: महाराष्ट्र की सह्याद्री पर्वतमाला में भीमा नदी के तट पर यह ज्योतिर्लिंग स्‍थित है। नासिक से यह स्थान 180 किलोमीटर पड़ता है। यहां पर भगवान शिव ने भीमासुर राक्षस का वध किया था। इस स्थान से तारकासुर और शिवजी की कथा भी जुड़ी हुई है। इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जानते हैं।
 
7. श्री विश्वनाथ: यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी गंगा के तट पर स्थित है। इस नगर में जो मरता है वह मोक्ष प्राप्त करता है। भगवान विश्वनाथ स्वयं उसे मरते समय तारक मंत्र सुनाते हैं। काशी को भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित इसलिए भी बताया जाता है क्योंकि यह जमीन से लगभग 33 फुट ऊपर है।
 
8. श्री त्र्यंबकेश्वर: यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से 25 किमी दूर गोदावरी नदी के तट पर है। यह स्थान महर्षि गौतम और उनकी पत्नी गौतमी से जुड़ा है। अपने ऊपर लगे गोहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने कठोर तप कर शिव से गंगा को यहां अवतरित करने का वरदान मांगा था। इस मंदिर में एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं।
 
9. श्री वैद्यनाथ: यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। कहते हैं- रावण ने घोर तपस्या कर शिव से एक पिण्ड प्राप्त किया जिसे वह लंका में स्थापित करना चाहता था, परंतु शिव लीला से वह पिण्ड वैद्यनाथ में ही स्थापित हो गया। इस मंदिर को कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि इस मंदिर में चंद्रकांता लगी हुई है जो रावण ने स्थापित की थी। ALSO READ: शिवभक्तों के लिए IRCTC लाया है ज्योतिर्लिंग दर्शन पैकेज, जानिए कैसे संपन्न होगी ये धार्मिक यात्रा
 
10. श्री नागेश्वर: गुजरात के द्वारिकापुरी धाम से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गोमती द्वारका से बेट द्वारका जाते समय रास्ते में ही पड़ता है। यहां पर भगवान शिव को नागों के देवता के रूप में पूजा जाता है। दूसरी मान्यता अनुसार महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में हिंगोली नामक स्थान से 27 किमी दूर यह नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यहां दारूक वन में निवास करने वाले दारूक राक्षस का नाश सुप्रिय नामक वैश्य ने शिव द्वारा दिए पाशुपतास्त्र से किया था।
 
11. श्री रामेश्वरम्: तमिलनाडु में स्थित इस ज्योतिर्लिंग का संबंध भगवान राम से है। यहां पर श्रीराम ने बालू का पिण्ड बनाकर शिव की आराधना की और रावण पर विजय हेतु शिव से वरदान मांगा था। बालू का बना यह शिवलिंग अजर अमर है जो धरती में पाताल तक गया है। इस ज्योतिर्लिंग के पास ही हनुमानजी द्वारा लाया गया वैश्वलिंग भी है।
 
12. श्री घृष्णेश्वर: महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में दौलताबाद के पास विश्व प्रसिद्ध अजंता-एलोरा की गुफाएं हैं। यहीं पर ज्योतिर्लिंग स्थित है। कहते हैं- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से वंशवृद्धि होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की अपार भक्त घुष्मा की भक्ति का प्रतीक है।ALSO READ: महाकुंभ में महाशिवरात्रि के अंतिम अमृत स्नान में बन रहे हैं 5 शुभ योग, करें 5 कार्य, स्नान का मिलेगा दोगुना पुण्य
 
 

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