Tulsi and Gangajal : हिन्दू धर्म में गंगाजल और तुलसी का मिलन बहुत ही पवित्र माना जाता है। गंगा जहां शिव से संबंध रखती है वहीं तुलसी श्रीहिर विष्णु से। दुनिया के सभी जलों में सबसे पवित्र जल गंगा के जल को माना जाता है और तुसली को सबसे पवित्र पौधा माना जाता है। मरते वक्त या मरने के बाद या किसी के प्राण तन से नहीं निकल रहे हैं तो उसके मुंह में तुलसी के साथ गंगा जल डाला जाता है। ऐसा क्यूं करते हैं? आओ जानते हैं रहस्य।
1. मान्यता अनुसार कहते हैं कि मुंह में गंगाजल और तुलसी रखने से यम के दूत यानी यमदूत मृतक की आत्मा को सताते नहीं है।
2. मान्यता अनुसार गंगाजल और तुसली रखने से तन से प्राणा आसानी से निकल जाते हैं और किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है।
3. यह भी कहते हैं कि मरने वाला व्यक्ति भूखा और प्यासा नहीं मरे इसलिए उसके मुंह में तुलसी के साथ गंगाजल रखा जाता है। भूखा प्यासा व्यक्ति अतृप्त होकर भटकता रहता है।
4. तुलसी हमेशा भगवान विष्णु के सिर पर शोभित होती हैं, मृत्यु के समय तुलसी पत्ता मुंह में डालने से व्यक्ति को यमदंड का सामना नहीं करना पड़ता है।
5. गंगा को मोक्षदायिनी नदी भी कहा गया है। इसीलिए ऐसी आम धारणा है कि मरते समय व्यक्ति को यह जल पिला दिया जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा ही एक मात्र ऐसी नदी है जहां पर अमृत कुंभ की बूंदें दो जगह गिरी थी।
6. गंगाजल का पानी बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु के कारण कभी सड़ता नहीं है। यदि किसी को गंगा जल पिला दिया जाए तो यह जीवाणु उसके शरीर में चला जाएगा और शरीर के भीतर गंदगी और बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं को यह नष्ट कर देगा। इसीलिए गंगाजल मुंह में डाला जाता है। गंगाजल में कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है। ऐसा भी मान्यता है कि कभी इसे पीने से कोई मरता हुआ व्यक्ति पुन: जीने की राह पर निकल पड़े। तुलसी का पत्ता भी व्यक्ति में जिवेषणा का संचार करता है।
7. गंगाजल में प्राणवायु की प्रचुरता बनाए रखने की अदभुत क्षमता है। इस कारण मरते हुए व्यक्ति को गंगाजल पिलाया जाता है। गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है।
8. तुलसी और गंगाजल के साथ मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में सोने का टुकड़ा रखने का भी प्रचलन है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
9. दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है। मरने वालों को तुलसी खिलाने से उसके शरीर का शुद्धकरण हो जाता है और वह अच्छा महसूस करता है।
10. तुलसी एक औषधि भी है। मरते समय तुलसी का पत्ता मुंह में रखने से प्राण त्यागने में कष्ट नहीं होता है क्योंकि इससे सात्विक भाव और निर्भिकता का भाव जन्मता है।