कई लोग यह देखते भी नहीं है कि कहां हंसी-मजाक करना चाहिए और कहां नहीं। कहां हंसाना चाहिए और कहां नहीं। उनके लिए समय और काल का कोई महत्व नहीं होता है। कई बार हंसना दु:खदायी भी हो सकता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि गरुड़ पुराण सहित अन्य ग्रंथों में इन पांच जगहों पर हंसना वर्जित क्यों है।
1. श्मशान में : मुक्तिधाम या श्मशान में कई लोग हंसी-मजाक करते या किसी प्रकार की अनुचित वार्तालाप करते हैं क्योंकि वह यह नहीं जानते हैं कि उन पर क्षेत्रज्ञ देव की नजर होती है। हंसी-मजाक करने वाला व्यक्ति यह भी नहीं जानता है कि उसे भी मरने के बाद यहीं पर लाया जाएगा तब क्षेत्रज्ञ देव उसके साथ क्या करेंगे यह वही जानते हैं।
2. अर्थी के पीछे : कई बार यह देखा गया है कि अर्थी के पीछे चलने वाले हंसते या सांसारिक वार्तालाप करते हुए या मोबाइल पर बात करते हुए चलते हैं जो कि अनुचित कर्म है। मान्यता अनुसार जिसकी मृत्यु हुई है वह भी इसे देखकर दु:खी होता होगा। यदि ऐसा नहीं भी है तो यह अर्थी अनुशासन के विरुद्ध कर्म है।
3. शोक में : कहीं पर भी अचानक किसी को शोक समाचार मिला हो, शोक सभा हो रही हो या घर परिवार में कोई शोक हो तो ऐसे समय हंसना उनुचित कर्म माना जाता है।
4. मंदिर में : मंदिर प्रांगण, मंदिर में और मंदिर के गर्भ में हंसना या सांसारिक बातें करना गंभीर अपराध माना जाता है। इससे देवी और देवता रुष्ठ हो जाते हैं।
5. कथा या प्रवचन में : कथा के दौरान या प्रवचन के दौरान कोई हंसने वाली बात हो तो ही हंसा जाता है। किसी अन्य बात पर हंसना या कथा में व्यवथान उत्पन्न करना पाप है।