Maa lakshmi : शाम के समय ऐसा रहता है जबकि दिन की प्रकृति सोने और रात की प्रकृति जागने लगती है। हिंदू धर्म में दिन के 4 और रात के 4 प्रहर मिलाकर कुल 8 प्रहर होते हैं जब भी कोई प्रहर बदलता है तो उसे समय को संधि काल कहते हैं। शाम को होने वाले संधि काल को महत्वपूर्ण माना गया है। इस काल में यदि आपने 5 कार्य कर लिए तो माता लक्ष्मी का घर में प्रवेश हो जाएगा।
1. देहलीज पर रखें दीपक : शाम के समय घर के मुख्य द्वार की दहलीज पर छोटा सा मिट्टी का दीपक जलाकर रखें। इससे माता लक्ष्मी के आगमन का मार्ग प्रशस्त होगा। यदि मुख्य द्वार पर अंधेरा रहेगा तो मां लक्ष्मी घर में प्रवेश नहीं कर पाएगी।
2. कपूर आरती : शाम के समय जब सूर्यास्त के बाद दिन भी अस्त हो जाए यानी करीब 7:15 से 7:30 के बीच पूजा करें और उसके बाद कपूर आरती करें। आप चाहें तो कपूर जलाकर सभी कमरों में घुमाना चाहिए। इससे घर में जैसी भी नकारात्मक ऊर्जा होगी तो वे चली जाएगी और घर में मां लक्ष्मी का प्रवेश होगा।
3. तुलसी की पूजा : दिन अस्त के बाद जब हल्के हल्के तारे नजर आने लगे तब तुलसी के पौधे की पूजा करें और उनके पास घी का दीपक जलाकर रखें। जिन घरों में नित्य तुलसी की पूजा होती है वहां मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इसलिए शाम के समय तुलसी की पूजा जरूर करें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देंगी।
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4. भजन : इस समय भजन सुनना बहुत ही शुभ होता है। किसी भी देवी या देवता का शांतिदायक भजन चला दें। इससे मन प्रसन्न रहेगा और आध्यात्मिक वातावरण बनेगा। यह देखकर मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होंगी और आपके घर में उनका आसानी से प्रवेश होगा।
5. मंत्र जप : यदि आप उपरोक्त कुछ भी नहीं करना चाहते हैं या नहीं कर पा रहे हैं तो कम से कम 5 माला मंत्र की जाप कर सकते हैं। इससे भी माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगी। मानसिक बदल मिलेगा और जीवन के सभी संकट दूर होंगे।
संधिकाल में न करें ये कार्य:-
1. संध्याकाल में झाड़ू लगाने की मनाही है।
2. इस काल में सोना मना है।
3. सहवास करने की सख्त मनाही है।
4. खाना-पीना नहीं चाहिए।
5. यात्रा करना वर्जित है।
6. क्रोध करना, शोर-शराब करना, झगड़े करना, असत्य, शाप देना, रोना, जोर-जोर से हंसना, गालियां देना, अभद्र या कटु वचन कहना मना है।
उपरोक्त नियम का पालन नहीं करने से जहां एक ओर बरकत चली जाती है वहीं व्यक्ति कई तरह के संकटों से घिर जाता है। संध्या काल में शनि, राहु और केतु के साथ ही शिव के गण सक्रिय रहते हैं।