शास्त्रों के अनुसार विश्वकर्मा जयंती हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। सूर्य का किसी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है जो की ही महीने होता है। सूर्य देवता सिंह राशि को छोड़कर कन्या राशि में जब प्रवेश करते हैं तो कन्या संक्रांति पर्व होता है। जो भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिवस भी होता है।
1. विश्वकर्मा एक महान ऋषि और ब्रह्मज्ञानी थे। ऋग्वेद में उनका उल्लेख मिलता है। कहते हैं कि उन्होंने ही देवताओं के घर, नगर, अस्त्र-शस्त्र आदि का निर्माण किया था। वे महान शिल्पकार थे।
2. प्राचीन काल में जनकल्याणार्थ मनुष्य को सभ्य बनाने वाले संसार में अनेक जीवनोपयोगी वस्तुओं जैसे वायुयान, जलयान, कुआं, बावड़ी कृषि यन्त्र अस्त्र-शस्त्र, भवन, आभूषण, मूर्तियां, भोजन के पात्र, रथ आदि का अविष्कार करने वाले महर्षि विश्वकर्मा जगत के सर्व प्रथम शिल्पाचार्य होकर आचार्यों के आचार्य कहलाए।
3. कहते हैं कि प्राचीन समय में 1.इंद्रपुरी, 2.लंकापुरी, 3.यमपुरी, 4.वरुणपुरी, 5.कुबेरपुरी, 6.पाण्डवपुरी, 7.सुदामापुरी, 8.द्वारिका, 9.शिवमण्डलपुरी, 10.हस्तिनापुर जैसे नगरों का निर्माण विश्वकर्मा ने ही किया था।
4. उन्होंने ही कर्ण का कुंडल, विष्णु का सुदर्शन चक्र, पुष्पक विमान, शंकर भगवान का त्रिशुल, यमराज का कालदंड आदि वस्तुओं का निर्माण किया था।
5. कहते हैं कि विश्वकर्माजी ने ही दधीचि ऋषि की हड्डियां वज्र नामक अस्त्र का निर्माण किया था जिससे इंद्र ने वृत्तासुर का वध कर दिया था।