प्रत्येक मन्वंतर में एक इंद्र हुए हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- यज्न, विपस्चित, शीबि, विधु, मनोजव, पुरंदर, दैत्यराज बाली, अद्भुत, शांति, विश, रितुधाम, देवास्पति और सुचि। हम जिस इन्द्र की बात कर रहे हैं वह अदिति पुत्र और शचि के पति देवराज पुरंदर हैं। इन इन्द्र को सुरेश, सुरेन्द्र, देवेन्द्र, देवेश, शचीपति, वासव, सुरपति, शक्र, पुरंदर भी कहा जाता है।
इन इन्द्र का विवाह असुरराज पुलोमा की पुत्री शचि के साथ हुआ था। इन्द्र की पत्नी बनने के बाद उन्हें इन्द्राणी कहा जाने लगा। इन्द्राणी के पुत्रों के नाम भी वेदों में मिलते हैं। उनमें से ही दो वसुक्त तथा वृषा ऋषि हुए जिन्होंने वैदिक मंत्रों की रचना की। जयंत उनका प्रमुख पुत्र था। वानरराज बलि और कुंति पुत्र अर्जुन भी इन्हीं के संसर्ग से जन्में थे।
अत: जयंत, वसुक्त, वृषा, वानरराज बालि, कुंती पुत्र अर्जुन आदि इंद्र के पुत्र थे।