Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भगवान शिव के 7 छुपे रहस्य जिसे दुनिया आज तक नहीं जानती

हमें फॉलो करें भगवान शिव के 7 छुपे रहस्य जिसे दुनिया आज तक नहीं जानती

अनिरुद्ध जोशी

आदिनाथ भगवान शिव को शंकर, महादेव, भोलेनाथ और देवाधिदेव कहते हैं। आओ जानते हैं उनके बारे में अनसुलझे और छुपे हुए 7 रहस्य।

 
 
1. कितनी थीं शिव की पत्नियां?
यह रहस्य की बात है कि भगवान शंकर का विवाह सर्वप्रथम प्रजापति दक्ष की पुत्री सती से हुआ फिर जब वे यज्ञकुंड में कूदकर भस्म हो गईं, तब उन्होंने दूसरा जन्म लिया और हिमवान की पुत्री पार्वती कहलाईं। कहते हैं कि गंगा, काली और उमा भी शिव की पत्नियां थीं।
 
 
2. कितने हैं शिव के पुत्र?
भगवान शिव ने पार्वती से विवाह करने के बाद कार्तिकेय नाम का एक पुत्र प्राप्त किया। गणेश तो माता पार्वती के उबटन से बने थे। सुकेश नामक एक अनाथ बालक को उन्होंने पाला था। जलंधर शिव के तेज से उत्पन्न हुआ था। अय्यप्पा शिव और मोहिनी के संयोग से जन्मे थे। भूमा उनके ललाट के पसीने की बूंद से जन्मे थे। अंधक और खुजा नामक 2 पुत्र और थे जिसके बारे में ज्यादा उल्लेख नहीं मिलता है।
 
 
3. शिव के कितने शिष्य?
शिव के प्रमुख 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे। शिव के शिष्यों में वशिष्ठ और अगस्त्य मुनि का नाम भी लिया जाता है।
 
 
4. क्या शिव ही बुद्ध थे?
बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।
 
 
5. क्या शिव और शंकर एक ही हैं?
कुछ पुराणों के अनुसार भगवान शंकर को शिव इसलिए कहते हैं कि वे निराकार शिव के समान हैं। निराकार शिव को शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के 2 नाम बताते हैं। असल में दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर 2 अलग-अलग सत्ताएं हैं। माना जाता है कि महेश (नंदी) और महाकाल, भगवान शंकर के द्वारपाल हैं। रुद्र देवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं।
 
 
6. हर काल में शिव
भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए हैं। वे सतयुग में समुद्र मंथन के समय भी थे और त्रेता में राम के समय भी। द्वापर युग की महाभारत काल में भी शिव थे और कलिकाल में विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण के अनुसार राजा हर्षवर्धन को भगवान शिव ने मरुभूमि पर दर्शन दिए थे।
 
 
7. वनवासी और आदिवासियों के देवता?
भारत की असुर, दानव, राक्षस, गंधर्व, यक्ष, आदिवासी और सभी वनवासियों के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है। सभी दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव धर्म से जुड़े हुए हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की ही परंपरा से ही माने जाते हैं।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दुनिया कब खत्म होगी? जानिए धर्मों की भविष्यवाणियां