महान संत पम्बन स्वामिगल

Webdunia
शुक्रवार, 16 अगस्त 2019 (15:22 IST)
- आर. हरिशंकर

पम्बन गुरुदास स्वामीगल, जिन्हें पम्बन स्वामीगल के नाम से भी जाना जाता है, एक महान संत और कवि थे। वे भगवान मुरुगा के अनन्य भक्त थे।
 
 
जीवन : पम्बन स्वामीगल का जन्म 1850 को, रामेश्वरम के एक शैव परिवार में हुआ था। उनका जन्म का नाम अप्पावु था। छोटी उम्र में भी, उन्हें भगवान मुरुगा की प्रशंसा में कविताएं लिखने में दिलचस्पी थी। उन्होंने भगवान मुरुगा पर कई कविताएं लिखी हैं। वे महान संत अरुणगिरि नाथार के भी भक्त थे। वे उन्हें अपना गुरु मानते थे।
 
 
भगवान मुरुगा : उनकी शादी वर्ष 1878 में हुई थी। विवाहित होने के बाद भी, पम्बन स्वामी एक संत का जीवन जीते थे। उन्होंने अपने पारिवारिक व्यवसाय की जिम्मेदारी संभाली और भगवान मुरुगा की दिव्य कृपा से इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। शरीर पर पवित्र राख (विभूति) लगाने से वह और उनका परिवार स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से ठीक हो गया था। पम्बन स्वामी ने केवल सादा भोजन किया, और एक दिन में केवल एक बार भोजन करते थे।
 
 
धार्मिक लेखन : भगवान मुरुगन के भक्तों के लिए पम्बन स्वामी ने 1891 में शनमुगा कवचम लिखा था। ताकि उन्हें शारीरिक और मानसिक समस्याओं के अलावा शत्रुओं से बचाया जा सके। भगवान मुरुगा पर शुद्ध भक्ति के साथ यदि हम इसका पाठ करते हैं, तो हमें अपने जीवन में कई सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। साथ ही पम्बन स्वामी ने भगवान मुरुगा की प्रशंसा में पंचामृत वरनाम लिखा है। उन्होंने एक कविता लिखी है जिसका नाम तिरुवरुमलाई कोमगन है।
 
 
महत्वपूर्ण : एक बार जब वह कांचीपुरम में थे, भगवान मुरुगा एक युवा के रूप में प्रकट हुए और उन्हें कुमारकोट्टम मुरुगन मंदिर में ले गए। एक बार, पम्बन स्वामी को भगवान मुरुगा पलानी अंडी के रूप में दिखाई दिए और उन्हें सीधे उनसे उपदेशम (दिव्य मंत्र) मिला।
 
 
1895 में, पम्बन स्वामी ने संन्यास लिया, और अपने गांव को छोड़ दिया। वह चेन्नई के जॉर्ज टाउन में गए और वहां उनका स्वागत एक बूढ़ी महिला ने किया। उस महिला ने उन्हें भगवान मुरुगा के निर्देशों के अनुसार भोजन और आवास प्रदान किया, जो उन्हें उसके सपने में दिया गया था। पम्बन स्वामीगल ने उनके निमंत्रण को स्वीकार कर लिया और कुछ समय तक वहां रहे।
 
 
निधन: उनकी मृत्यु वर्ष 1929 में हुई थी। उनकी मृत्यु से पहले, उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा कि वे भगवान मुरुगा पर दृढ़ विश्वास रखें और उनकी पूजा शुद्ध भक्ति से करें।
 
 
निष्कर्ष : वे एक महान संत और एक मुरुगा भक्त थे, जिन्होंने अपना जीवन भगवान मुरुगा को समर्पित करने में व्यतीत किया और उनकी स्तुति गाई, और भगवान मुरुगा की भक्ति को लोगों तक पहुंचाया। वह एक सौम्य और मृदुभाषी व्यक्ति थे, जिनमें आध्यात्मिक शक्तियां समाहित थीं। आइए हम उनके साथ सच्चे दिल से प्रार्थना करें और उनके नाम और भगवान मुरुगा के नाम का जाप करें और धन्य हो।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

22 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

22 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Prayagraj Mahakumbh : 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइटों से संवारा जा रहा महाकुंभ क्षेत्र

Kanya Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कन्या राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह में आ रही अड़चन, तो आज ही धारण करें ये शुभ रत्न, चट मंगनी पट ब्याह के बनेंगे योग

अगला लेख
More