वैसे हिंदू धर्म के बाद बहुत से प्राचीन धर्मों का उल्लेख किया जा सकता है, जैसे पेगन, वूडू आदि लेकिन हिंदू-जैन के बाद यहूदी धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म था जिसने धर्म को एक नहीं व्यवस्था में ढाला और उसे एक नई दिशा और संस्कृति दी।
हजरत आदम से लेकर अब्राहम और अब्राहम से लेकर मूसा तक की परंपरा यहूदी धर्म का हिस्सा है। यह सभी कहीं न कहीं हिंदू धर्म की परंपरा से जुड़े थे। ऐसा माना जाता है कि राजा मनु को ही यहूदी लोग हज. नूह कहते थे।
दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है यहूदी धर्म। लगभग 4000 साल पुराना यह धर्म वर्तमान में इसराइल का राजधर्म है। यहूदी धर्म की शुरुआत पैगंबर हजरत इब्राहिम (अबराहम या अब्राहम) से मानी जाती है, जो ईसा से 2000 वर्ष पूर्व हुए थे। हज. इब्राहिम के बाद यहूदी इतिहास में सबसे बड़ा नाम 'पैगंबर मूसा' का है। हजरत मूसा ही यहूदी जाति के प्रमुख व्यवस्थाकार हैं। ह. मूसा को ही पहले से चली आ रही एक परंपरा को स्थापित करने के कारण यहूदी धर्म का संस्थापक माना जाता है। हज. मूसा के बाद यहूदियों को विश्वास है कि कयामत के समय हमारा अगला पैगंबर आएगा। मूसा मिस्र के फराओ के जमाने में हुए थे।
दुनिया के प्राचीन धर्मों में से एक यहूदी धर्म से ही ईसाई और इस्लाम धर्म की उत्पत्ति हुई है। इस्लाम की एक ईश्वर की परिकल्पना, खतना, बुतपरस्ती का विरोध, नमाज, हज, रोजा, जकात, सूदखोरी का विरोध, कयामत, कोशर (हराम-हलाल), पवित्र दिन (सब्बाब), उम्माह जैसी सभी बातें यहूदी धर्म से ली गई हैं। पवित्र पवित्र भूमि, धार्मिक ग्रंथ, अंजील, हदीस और ताल्मुद की कल्पना एक ही है। ईसाई और इस्लाम में आदम, हव्वा, इब्राहीम, नूह, दावूद, इसाक, इस्माइल, इल्यास, सोलोमन आदि सभी ऐतिहासिक और महान लोग यहूदी परंपरा से ही है। हजरत अब्राहम को यहूदी, मुसलमान और ईसाई तीनों धर्मों के लोग अपना पितामह मानते हैं। आदम से अब्राहम और अब्राहम से मूसा तक यहूदी, ईसाई और इस्लाम सभी के पैगंबर एक ही है किंतु मूसा के बाद यहूदियों को अपने अगले पैंगबर के आने का अब भी इंतजार है।