हिन्दू धर्म ग्रंथ वेद ही है। वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार गीता है। अन्य ग्रंथ इतिहास, परंपरा और कर्मकांड के ग्रंथ हैं। पुराण का अर्थ होता है सबसे पुरातन। सबसे प्राचीन। इतिहास ग्रंथों में वाल्मीकि रामायण, वेद्वास कृत महाभारत और पुराण आते हैं। इन्हीं 18 पुराणों में से एक है विष्णु पुराण। आओ जानते हैं इसके बारे में संक्षिप्त जानकारी।
1. यह पुराण अन्य पुराणों की अपेक्ष यह छोटा है। इसमें अब मात्र सात हजार श्लोक ही पाए जाते हैं।
2. इस पुराण की रचना महर्षि वसिष्ठ के पौत्र और वेदव्यास के पिता पराशर ऋषि ने की है।
3. इस पुराण में भगवान विष्णु और उनके भक्तों के बारे में वर्णन मिलता है जिसमें बहुत ही रोचक कथाएं हैं।
4. इस पुराण में विष्णु के अवतारों का वर्णन मिलेगा जिसमें श्री कृष्ण चरित्र और राम कथा का विशेष उल्लेख है।
5. इस पुराण के छह अध्याय है। प्रथम में सृष्टि की उत्पत्ति और काल के स्वरूप के साथ ही ध्रुव, पृथु तथा प्रह्लाद की रोचक कथाएं हैं। द्वितीय में सभी लोकों का स्वरूप वर्णन और पृथ्वी के नौ खंडों के साथ ही ग्रह-नक्षत्रों का वर्णन मिलेगा। तृतीय में मन्वन्तर काल, वेद शाखाओं का विस्तार, गृहस्थ धर्म और श्राद्ध-विधि आदि का वर्णन मिलेगा। चतुर्थ में सूर्य वंश और चन्द्र वंश के राजा तथा उनकी वंशावलियों का वर्णन है। पंचम में श्रीकृष्ण चरित्र और उनकी लीलाओं का वर्णन है। अंत में छठे अध्याय में प्रलय तथा मोक्ष का ज्ञान मिलेगा।